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वसुंधरा तू धन्य है | Newsforum

©सरस्वती साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

युगों-युगों से माँ धरा, उठा रही है भार

वसुंधरा तू धन्य है, देती लाख दुलार

 

पर उपकारी मातृ है, हम बालक नादान

समा गए माँ गोद में, सकल जगत सब प्राण

पोषिता माँ भरण करे, कोमल हृदयाकार

वसुंधरा तू धन्य है, देती लाख दुलार…

 

धरा गोद में सुर,असुर, पशु,पक्षी का ठाँव

धरनी करती है सदा, सब पर शीतल छाँव

भेद करे न भू माता, प्रेम, प्रणय बौछार

वसुंधरा तू धन्य है, देती लाख दुलार…

 

दुर्योधन, रावण हुए, असुर अनेक विनाश

शुभ -अशुभ घटना घटते, देखे महाविनाश

सहन करे हर कष्ट को, सहती कठिन प्रहार

वसुंधरा तू धन्य है, देती लाख दुलार…

 

नमन करे धरती तुम्हें, जननी  भूमि महान

नदी, शिखर, झरने सभी, रत्नाकर का मान

धरती का करते सभी, वन झाड़ी श्रृंगार

वसुंधरा तू धन्य है, देती लाख दुलार…

 


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