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अच्छे जी रहे थे हम l ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद

परिचय- बारां(राजस्थान)


 

 

 

तूफां ने कर दिया सब खाक, अच्छे हम जी रहे थे।

अपनी मंजिल के करीब ही , हम तो पहुंच रहे थे।।

तूफां ने कर दिया सब—————–।।

 

रंगीन फिजायें होगी सच ,मस्ती लहरों सी होगी।

पतझड़ ने कर दिया बेहाल, सावन की सोच रहे थे।।

तूफां ने कर दिया सब——————।।

 

 

मजबूरी दिल की बताकर, बात दिल की नहीं करते।

उन्होंने तोड़ दिया दिल, जिन पर एतबार करते थे।।

तूफां ने कर दिया सब—————–।।

 

 

हमें यकीन था बहुत, जल्दी ही बदलेगा मौसम।

अंधेरा राह में बढ़ गया, सवेरा हम देख रहे थे।।

तूफां ने कर दिया सब—————–।।

 

 

जाकर उनसे यह कहना, हम नहीं कोई खिलौना।

सौदा जिंदगी का कर लिया, इंतजार हम कर रहे थे।।

तूफां ने कर दिया सब—————–।।

 

 

कफ़न की फ़िक्र मत करना, मदद को बहुत है साथी।

दस्तखत मरने से पहले , वसीयत पर करवा रहे थे।।

तूफां ने कर दिया सब —————–।।


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