क्या हकीकत है तुम्हारी, मैं जानता हूँ सब | ऑनलाइन बुलेटिन
©गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान
मैं जानता हूँ सब, क्या हकीकत है तुम्हारी।
दिल कैसा है तुम्हारा, क्या नियत है तुम्हारी।।
मैं जानता हूँ सब——————।।
कितना सच्चा तुमको प्यार है, इन गरीबों से।
इनकी भलाई के पीछे, क्या नियत है तुम्हारी।।
मैं जानता हूँ सब—————–।।
ये इतने सारे दोस्त, क्यों है साथ तुम्हारे।
इनको साथ रखकर, कहाँ निगाह है तुम्हारी।।
मैं जानता हूँ सब—————–।।
क्यों झुकाते हो सिर तुम, इन अमीरों के आगे।
उनकी महफ़िल में फिर, क्या है इज्ज़त तुम्हारी।।
मैं जानता हूँ सब——————-।।
कितनी निभाते हो कसमें, कितनी करते हो मेहनत।
कितने सच्चे हो तुम और, क्या है इबादत तुम्हारी।।
मैं जानता हूँ सब——————-।।