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आप जहाँ भी रहे, आप आबाद रहे | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान.


 

आप जहाँ भी रहे, आप आबाद रहे।

यह दिन, यह पल, सदा याद रहे।।

हर कदम पर मिले तुमको रोशन चिराग।

यह खुशी, यह बहारें, सदा साथ रहे।।

आप जहाँ भी रहे——————।।

 

आज मौसम यह ऋतु, रुखसत की लाया है।

हर फूल, हर कली का दिल, भर आया है।।

नई डगर है शुरू, नया सफर है शुरू।

हम करेंगे दुहा, आप खुशहाल रहे।।

आप जहाँ भी रहे——————-।।

 

क्या नसीब नहीं हुआ,ख्वाब देखा क्या नहीं।

ऐसा शख्स कौन है, ख्वाब बाकी जिसका नहीं।।

बहाकर अश्क नसीब पर, निराश खुद को नहीं करें।

खुदा से यही मांगेंगे, आप खुशनसीब रहे।।

आप जहाँ भी रहे——————-।।

 

जैसे बहती मौजों का, नहीं है कोई किनारा।

ऐसे ही चलती बहारों पे, नहीं है कोई पहरा।।

सितारें संग हो तुम्हारे, सबसे सम्मान मिले।

जीत हो आपकी, ताज सिर पर रहे ।।

आप जहाँ भी रहे——————।।

 


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