नारी शक्ति स्वरूपा है | ऑनलाइन बुलेटिन
©बिसेन कुमार यादव ‘बिसु
परिचय– दोन्देकला, रायपुर, छत्तीसगढ़
नारी शक्ति स्वरूपा है
नारी भक्ति स्वरूपा है।
नारी तू कल्याणी है।
नारी तू नारायणी है।
नारी नादान अबला नहीं,सबला है।
मां दुर्गा,मां भवानी,मां कमला है।
कभी दुर्गा तू,कभी भवानी।
कभी रणचंडी कभी मर्दानी।
कभी कालरात्रि कभी भद्रकाली।
मैं ही दुष्टों का नाश करने वाली।
मैं पालन करने वाली महतारी हूं।
मैं घर की भी राज दुलारी हूं।
नारी है घर में तो घर, घर है।
नारी नहीं तो घर भी बेघर है।
नारी फुलों की फुलवारी है।
नारी आंगन की किलकारी है।
नारी जननी भी है।
नारी सजनी भी है।
बेटी और मां भी है, नारी।
बहन नानी मामी भी है, नारी।
चाची, सखी, सहेली दीदी नारी।
मौसी बुआ सांस-बहू दादी नारी।
इनके बिना न पुरे है रिश्ते।
इनके बिना अधूरे है रिश्ते।
मेरी फिर क्यों तिस्कार कर रहे हो।
फिर मुझ पर क्यों अत्याचार कर रहे हो।
मैं कितनी अपमान सहुंगी।
मैं भी तो सम्मान चाहुंगी।
अब नारी को नारी का अधिकार मिले।
मुझे भी खुशियों से भरा संसार मिले।