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नारी और भागीदारी | Onlinebulletin

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

मानव समाज के जनसंख्या

का आधा हिस्सा है नारी

किंतु देखना है कि, समाज

विकास में, कितना हैं भागीदारी

क्या केवल टी वी सीरियल और

शापिंग मॉल तक खरीददारी

शिकवे शिकायत, लड़ाई झगडे

क्या यही है इनके जवाबदारी

समाज के आधे हिस्से हैं आप

समाजमे तय करो हिस्सेदारी

मानव समाज के जनसंख्या

का आधा हिस्सा है नारी

सास-ससुर, देवर-ननद

सबका करो सम्मान, मदद

क्युं नफरत तुमसे करेगा कोई

तुम्हारे हाथ में जान है सबके

क्योंकि तुम संभाल रहे रसोई

तुम घर को स्वर्ग बना सकतीं हो

अगर तुम करो कुछ समझदारी

तुम तो हो अपने पति की दुलारी

मानव समाज के जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

अंधश्रद्धा, पाखंड में कब-तक

तुम घिरी रहोगी

समाज में व्यवस्था परिवर्तन के

तुम नये सोपान धरोगी

विज्ञान और संविधान को

अपनाकर, बन जाओ चेतनकारी

मानव समाज के जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

कब तक तुम करवा चौथ

के नाम पर ठगी जाओगी

कब-तक तुम भाई से अपने

रक्षा की गोहार लगाओगी

पति की लंबी उम्र की

तुम दुआ मांगती हो

उसी पति के प्रताड़ना से

बचने कानुन के द्वार जाती हों

रक्षाबंधन पर सारे पुरुष

तुमसे राखी पहनता है

फिर कोई बहन क्यों किसी के

हवस का शिकार बनता है

इन रुढ़िवादी परंपरा को तोड

तुम नये परिवर्तन लाओ

विज्ञानवादी सोच अपनाकर

समाज में अपना अधिकार जताओ

अब तुम नहीं हो किस्मत की मारी

मानव समाज के जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

बहुजनों पर शासन करने

नारी को अस्त्र बनाया है

प्रत्येक घरों में मनुवादियों ने

अंधविश्वास को घुसाया है

अब “मैं” नारियों से कहता हूं

तुम “राम की अनुगामिनी सीता

नहीं हो, जो अग्नि परीक्षा दे

ना ही पांडवों की “द्रौपदी” हो

जिसे कोई दांव पर लगा दे

तुम सावित्रीबाई फुले की बेटी हो

जो सारे बहुजनों को जगा दे

तुममें जोश है, तुममें होश है

तुम बनो “फुलन” की उत्तराधिकारी

अब तुम नहीं हो “मनुस्मृति’ की नारी

मानव समाज के जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

अब देखना है कि समाज के

विकास में कितना है भागीदारी ।

नारी के शील हनन

करने वालों का

सर काट दो या

जड़ काट दो

उस नराधम के जिस्म को

कई टुकड़ों में

काट दो

तुम बनो

विध्वंसकारी

मानव समाज के

जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

नारी तू कोमल नहीं

नारी तू अबला नहीं

तेरे आगे पानी मांगते

मूंछों में ताव देने वाले

इनकी मर्दानगी तो देखो

नारी को अकेले में ताड़ते

नोचते खसोटते

ये तेरे कपड़े फाड़ते

चार बूंद की ताकत इनकी

उसके दम पर इतने उचकते

अपने को वीर समझने वालों

नारी को अबला समझने वालों

अपने पुरुषार्थ साबित करो

नारी को मत लज्जित करो

जैसे, खुद की मां, बहनें हैं

वह भी किसी की मां, बहनें हैं

एक दिन नारी होगी

सब पर भारी

मानव समाज के

जनसंख्या का

आधा हिस्सा है नारी

मानव समाज के विकास में

उसकी ज्यादा है भागीदारी ….


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