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नारी शक्ति युग-युग में | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय- मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

नारी शक्ति है…, नारी भक्ति है….,

नारी ही सम्मान है।

उज्जवल धरा के,

तीनों लोक में नारी ही अभिमान है।

जन्म धरे धरती पे…., फिर जननी कहलाये।

हरण हो जब नारी का, काली रूप बन जाये।

 

नारी दुर्गा है, नारी काली है,

नारी ही आत्मविश्वास है।

नारी ही त्रिनेत्रि, नारी ही शूलधारिणी,

नारी सर्वासुरविनाश है।

 

 

माते बनकर चरणोa में स्वर्ग लेकर आये।

समय का गिरे प्रकोप, तो चण्डाल भी बन जाये।

 

 

नारी सत्या है, नारी सुंदरी है, नारी ही सर्वास्त्रधारिणी है।

नारी लक्ष्मी है, नारी भाविनी है, नारी ही चण्डमुण्ड विनाशिनि है।

 

नारी शक्ति है…, नारी भक्ति है…., नारी ही सम्मान है।

उज्जवल धरा के, तीनों लोक में नारी ही अभिमान है।

 

हर युग में नारी ही स्वरुप है।

समानता संग बहुरूप है।


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