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करो वंदन तुम, जग जननी को | ऑनलाइन बुलेटिन

©गुरुदीन वर्मा, जी.आज़ाद

परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान


 

 

करो वंदन तुम, जग जननी को।

जिसने जन्म, इस जग को दिया।।

करो पूजन, इस नारायणी का।

जिसने नारायण, पैदा किया।।

करो वंदन तुम——————–।।

 

सच्चे मन से, यह निभाती धर्म।

बेटी, बहिन, पत्नी के रूप में।।

नहीं देख पाती, सन्तान के आंसू।

यह नारी, एक माँ के रूप में।।

हर रस्मो- रिवाज को, निभाकर।

सम्मान समाज का, इसने किया है ।।

करो वंदन तुम———————।।

 

 

संघर्ष में नहीं पीछे, यह नर से।

किस पद पर, नहीं पहुंची नारी।।

कुर्बान वतन पर, नारी भी हुई।

देश की आन बचाने को, नारी।।

रानी लक्ष्मी, पद्मनी, इंदिरा ने।

न्यौछावर देश पर, खुद को किया है।।

करो वंदन तुम———————।।

 

 

छोड़ो जुल्म करना, नारी पर।

सृष्टि की रचयिता है, नारी।।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।

दुर्गा- लक्ष्मी की सूरत है नारी।।

नारी बिना, जग में अंधियारा।

नारी ने ही जग, रोशन किया है।।

वंदन करो तुम——————–।।


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