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प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को | Onlinebulletin

©डॉ. कान्ति लाल यादव, सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान


 

 

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

मार्ग दिखाए दूसरों का ।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

सब दर्द मिट जाए दुनिया का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

आस्था, विश्वास मिले अपनों का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

उर में खिल उठे सागर स्नेह का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

मिट जाए कलुषित पापों का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

प्रेम सौहार्द बढ़े हर मजहब का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

मानव धर्म बने इंसानियत का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

सुख, शांति, वैभव की खुशहाली का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

कोई आत्महत्या ना करें जीवन का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

घर स्वर्ग बन जाए रिश्तों का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

नारी को सम्मान मिले, गौरव बढ़े भारत का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीप को

कोई दलित रहे न पीड़ित, फूल खिले समता का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

जवान, किसान, मजदूर का जीवन हो अमन का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

हर कोई सहारा बने बेसहारों का।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

हर हाथ में काम से खात्मा हो बेरोजगारी का।

प्रज्वलित कर दो तुम ऐसे दीपक को

सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ा दे दुनिया को।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

कलम सत्य लिख दे सच्चाई को।

सबसे न्यारा, जग में प्यारा देश हमारा सीख दे दुनिया को।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

विकसित राष्ट्र की मुहर लग जाए भारत को।

प्रज्वलित करो तुम ऐसे दीपक को

पूरी कायनात में नाश हो जाए

अज्ञान, पाप, बुराइयों के तम का।

 

आप सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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