तुम खो दोगे उस अपने को | newsforum
©राहुल सरोज, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
जब रात गुजार जाए तुम बिन,
जब खुलकर हंसना आए तुम बिन,
फिर एक बात समझ लेना,
तुम फिर एक राज समझ लेना,
तुम खो दोगे उस अपने को,
जो सिर्फ तुम्हारा अपना था,
आंखों में जिसके सपना था,
तेरे साथ क्षितिज तक जाने का,
तुम खो दोगे उस लम्हें को,
जिसमें बस तुम ही तुम बसते थे,
तुम खो दोगे उस चेहरे को,
जिसमें तुम हरपल हंसते थे,
फिर लौट के वापस ना आएगा,
जब दुनिया नई बसा लेगा,
फिर टूटके तुमको ना चाहेगा,
जब यादें नई बना लेगा,
फिर उसकी उन यादों में,
तुम खुदको कहीं ना पाओगे,
तुम रो दोगे उसे सुनने को,
जैसे कभी वो रोता था,
नींद ना होगी आंखों में,
जैसे रातों वो ना सोता था,
होगा तुमको एहसास मगर,
तुम फिर से उसको ना पाओगे,
तुम खो दोगे उस अपने को,
जो सिर्फ तुम्हारा अपना था,
जो सिर्फ तुम्हारा अपना था।।