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आपकी उंगलियां इस तरह हैं | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

आपकी उंगलियाँ इस तरह हैं जैसे सुकूँ दिलाता एहसास।

भुल-भुलैया सी दुनिया में, क़रीब हो अपना कोई ख़ास।

 

चेहरे को चूमती हुई, आँखों से लगती हैं,

तक़दीर की स्याही के रंग को रंगती हैं।

 

विश्वास और लक्ष्य को साधती हैं निशाने पे,

जैसे मिली हो मंज़िल माही को मुहाने पे।

 

तीर, तलवार हो या क़लम की धार,

उँगलियों की छाप ने बिछाई है बौछार।

 

लफ़्ज़ ब लफ़्ज़ रूह की पाकीज़गी से गुज़रती है,

अकाल पड़े माहौल में बेख़ौफ़ बूँद बरसती है।

 

हर एक उँगलियों में अनगिनत ये लकीरें,

बनाती हैं तो कभी बिगाड़ती है तक़दीरें।

 

छोटे-छोटे हिस्से में भी कितना प्यार है।

उँगलियों को जोड़ कर देखा माँ की परछाई संग संसार है।

 


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