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मुझको जीने न देगी यादें तेरी | Newsforum

©महेतरू मधुकर (शिक्षक), पचेपेड़ी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

सुन मेरे सनम रे, जाना है तो जा रे,

कर अहसान, अपनी यादें ले जा रे।

 

यादें तेरी सच में मुझको जीने न देगी,

मेरी वफा के बदले गम तो न दे जा रे।

तुझको मुबारक तेरी ये हसीन दुनिया,

पर करके मुझपे सितम तू न ले मजा रे।

 

प्यार के सिवा तुझसे और कुछ न चाहा,

जरा कसूर का न दे उम्र भर की सजा रे।

 

उम्मीद सारे खत्म कर दो, तोड़ो भरम,

चैन और सुकून की सांसे मुझे दे जा रे।

 

तोड़ दिये रिश्ते, कसमें और वादे प्यारे,

मेरे जेहन से भी अपनी चाहत हटा रे।


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