ज़िन्दगी का सफ़र l ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
परिचय– मुंबई
आँखों में इंसानियत और वफ़ादरी रखो,
तूफ़ान जो भी हो, ख़ुद ज़िम्मेदारी रखो।
हक़ीक़त को कभी रुसवा न करो तुम,
कुछ हुनर की दिल में राजदारी रखो।
ज़ुबान जब भी खुले, तो हक़ीक़त हो,
ख़ुद ही अपने दम पे , ख़ुद्दारी रखो।
लहरें कभी थमने का नाम नहीं लेती,
समंदर की रवानी में हिस्सेदारी रखो।
दुश्मनों के डर से , रुके न कभी क़दम,
हर क़दम पे बुलंद आवाज़ जारी रखो।