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लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि | Newsforum

रायपुर  | 

एंकर

–    लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।

–    साथियों, आज लोकवाणी की इक्कीसवीं कड़ी का प्रसारण हो रहा है। आज के प्रसारण का विषय है-‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’।

–    अर्थात स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना।

–    इस कार्यक्रम का ध्येय वाक्य है- आपकी बात-माननीय मुख्यमंत्री के साथ। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री   भूपेश बघेल जी आपसे मुखातिब हैं। हम आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत करते हैं, अभिनंदन करते हैं, जय जोहार।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    सब्बो सियान मन, दाई-दीदी, संगवारी अउ नोनी-बाबू मन ल, मोर डहर ले जय जोहार, जय सियाराम।

–    ये महीना के लोकवाणी के प्रसारण, अब्बड़ सुघ्घर, अब्बड़ पावन बेरा म होवत हे। आप सब्बो मन ल गणेश पक्ष के अब्बड़कन बधाई अउ सुभकामना। गणेश जी ल विघ्नहर्ता घलो कहे जाथे। गणेश भगवान ल प्रणाम करके मैं कामना करथंव के वो आप सब्बो मन के समस्या ल दूर करे।

–    हमर महान नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ह, आजादी के लड़ाई के बेरा म सार्वजनिक गणेश उत्सव के शुरुआत करे रिहिस। उंखर अपील हमर छत्तीसगढ़ म घलो अब्बड़ असर करे रिहिस। ते पायके छत्तीसगढ़ म घलोक सार्वजनिक गणेश उत्सव के मजबूत परंपरा पड़े हे। आप मन के सहयोग ले ये परंपरा लगातार चलत हे। पाछू बछर, कोरोना के कारण सार्वजनिक कार्यक्रम नइ होय सके रिहिस लेकिन ये बछर कोरोना काबू म आ गेहे तेखर सेती ये साल सार्वजनिक गणेश उत्सव मनाय बर कुछ छूट दे गे हे। मोर अपील हे, के आप मन सावधानी के साथ, सुरक्षा उपाय के साथ, मास्क पहिन के नाक, मुंह ढांक के ही तिहार मनावव। सामाजिक एकता, सौहार्द्र अउ समरसता के हमर विरासत ल आघू बढ़ावव।

–    13 सितम्बर के नवाखाई हे। नवाखाई हमर छत्तीसगढ़ अउ उड़ीसा राज्य के साझा संस्कृति के पहिचान आय। मोर डहर ले जम्मो उत्कल समाज के मनखे मन ल बधाई अउ सुभकामना। हमन जुर-मिलके रहिबो अउ संगे-संग विकास करबो।

 

–    17 सितम्बर के विश्वकर्मा जयंती हे। विश्वकर्मा जयंती जम्मो कर्मकार मनके आस्था के तिहार आय। भगवान विश्वकर्मा ल सृजन के, सरल भाखा म बोलंव त निर्माण के देवता कहे जाथे।

–    ये दिन मसीन, अउजार के पूजापाठ होथे। सृजन के, नवनिर्माण के काम-बुता बने चलय, ऐकर बर आसीरवाद मांगे जाथे।

–    आप जम्मो मन ये सब तिहारबार ल खूब धूम-धाम ले मनावव अउ कोरोना के ध्यान रखे बर झन भुलावव।

–    सावधानी अउ सुरक्षा उपाय के संग तिहार मनावव।

एंकर

–    माननीय मुख्यमंत्री जी। आपने छत्तीसगढ़ में विकास के लिए जो मॉडल प्रस्तुत किए हैं, उसमें नए-नए तरीकों से काम करने की बहुत संभावनाएं हैं और यही वजह है कि आर्थिक मंदी और कोरोना संकट के समय भी छत्तीसगढ़ में सुरक्षा के साथ आर्थिक, सामाजिक और रोजगारोन्मुखी गतिविधियां चलती रहीं।

सुनते हैं कुछ उदाहरण-

बाइट-निर्मला भास्कर, जिला-कांकेर

–    मेरा नाम निर्मला भास्कर है सर। मैं किसान विकास समिति की सदस्य हंू। मैं ग्राम गोकुलमुंडा, विकासखंड दुर्गूकोंदल जिला उत्तर बस्तर कांकेर छत्तीसगढ़ से सर। दिनांक 27 जनवरी 2021 को माननीय मुख्यमंत्री   भूपेश बघेल जी के कांकेर प्रवास के दौरान हमारी समिति के सदस्यों द्वारा लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की मांग की गई, जिसे पूरा करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा तत्काल घोषणा कर हमारे मांग को पूर्ण किया गया तथा जिला प्रशासन की ओर से शीघ्र ही हमारे ग्राम गोकुलमुंडा में लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई। विगत दो माह में लगभग 100 क्विंटल प्रसंस्करण की हुई कोदो, कुटकी, एवं रागी को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ियों को प्रदाय किया जा चुका है, इससे हमारे समूह को लगभग एक लाख तीस हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हुई है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारी मांग को पूरा किए इसके लिए हम सभी समिति सदस्यों की ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद।

बाइट-दिव्या मरकाम, जिला-कांकेर

–    मेरा नाम दिव्या मरकाम है। मैं सिंगारभाट कांकेर की निवासी हूं। किसानों द्वारा उत्पादन केला लघु धान्य का प्रसंस्करण करने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र सिंगारभाट, कांकेर में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना दिनांक 27 जनवरी 2021 को की गई है, जिसका संचालन हमारे समूह लक्ष्मी स्वसहायता समूह द्वारा किया जा रहा है, जिसमें महिला एवं पुरुष मिलकर कुल 12 सदस्य हैं। विगत 6 माह में लगभग 49 से 50 क्विंटल प्रसंस्करित कोदो, कुटकी एवं रागी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्रदाय किया जा चुका है। इससे हमारे समूह को 2 लाख 35 हजार 820 रुपए की आमदनी हुई है, इकाई स्थापना के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को कोटि-कोटि धन्यवाद।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    निर्मला बहन, दिव्या बहन, जय जोहार। आपने बहुत सही बात कही है। लघु धान्य फसलों का उत्पादन छत्तीसगढ़ के ऐसे हिस्सों में होता है, जहां का तापमान बहुत अधिक नहीं होता। जहां का तापमान राज्य के औसत तापमान से कम होता है। ये फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती हैं लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है।

–    राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी- रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी।

–    मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी।

–    मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।

–    इसके अलावा कोदो-कुटकी-रागी जैसी फसलों के वेल्यूएडिशन का काम भी बड़े पैमाने पर किया जाएगा, जिसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि और प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है।

–    बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी।

–    निर्मला और दिव्या बहन ने स्वयं ही बताया है कि कोदो 25 रुपए प्रति किलो की दर से क्रय करके प्रसंस्करण करने के बाद 65 रुपए प्रति किलो की दर से विक्रय कर रहे हैं। वहीं मड़िया 35 रुपए प्रति किलो की दर से क्रय कर 50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय कर रहे हैं। यह है प्रसंस्करण का कमाल। सोचिए कि वृहद पैमाने पर यह काम किया जाएगा तो आप लोगों की आय कितनी अधिक बढ़ जाएगी।

एंकर

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, दुर्ग और बालोद जिले में सिंचाई और पर्यावरण संरक्षण को लेकर दो ऐसे बड़े काम सामने आए हैं, जो लीक से हटकर हैं। इनमें से एक काम सिपकोना नहर का है तो दूसरा काम नंदिनी माइंस में ईको-जोन बनाने का। आइए सुनते हैं कुछ विचार और सवाल।

बाइट- उमेश कुमार आडिल, जिला-दुर्ग

–    माननीय मुख्यमंत्री जी प्रणाम, मैं उमेश कुमार आडिल, जिला- दुर्ग से बोल रहा हूं। सिंचाई की किसी बड़ी परियोजना को पूरा करने में बहुत अधिक समय और धन लगता है लेकिन हमने देखा है कि पाटन ब्लॉक में तांदुला जलाशय पर जो सिपकोना नहर लगभग बेकार हो चुकी थी, उसे आपने किस तरह से नए रूप में ढाल दिया। इसका लाभ बहुत सारे गांवों और किसानों को मिलने लगा है। कृपया इस बारे में विस्तार से बताइए कि ऐसा चमत्कार आप कैसे कर देते हैं ?

बाइट-हेमलाल सोनकर, ग्राम पंचायत कोहरी

–    मे ह ग्राम पंचायत कौही के निवासी हवं। मोर नाम हेमलाल सोनकर हवे। मे ह अभी वर्तमान में ग्राम गौठान समिति के अध्यक्ष हवं। अउ मे ह ए जगह ले जेन नहर से पानी देथे अउ ओकर सफाई के जो काम रहिस हे। हमर जानत म अभी तक नई देखे रेहेन ये सफाई के काम ल। हमर ये छत्तीसगढ़िया, मुख्यमंत्री जइसे मुख्यमंत्री बनीस हे। ये हमर किसान मन के लिए बरदान साबित होइस। एला पूरा सफाई के काम हमर मुख्यमंत्री के तरफ से करवाय गेय हे। अउ ऐमा किसान मन ल भारी जोर से सुविधा हे।

–    बधाई देवत हवं के हमर किसान मन घलो बहुत गदगद हे काबर पानी बहुत विलम्ब से खेत तक जावत रिहिस हे। पूरा जाम पड़त रिहिस हे जेला सफाई करके हमर किसान मन ल वरदान देइस हे तेखर बर बहुत-बहुत आभार अउ धन्यवाद।

बाइट-ईश्वरीलाल यादव, जिला-दुर्ग

–    जय सियाराम, जय जोहार। माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं ईश्वरीलाल यादव, जिला-दुर्ग से बोल रहा हूं। नंदिनी माइंस का बहुत बड़ा क्षेत्र बरसों से उजाड़ पड़ा है। कुछ भी काम नहीं आ रहा है। इसके बारे में अब सूचना मिल रही है कि इस क्षेत्र को मानव निर्मित बहुत बड़े जंगल के रूप में बदल दिया जाएगा। सुनने में तो यह बात हजम नहीं होती है लेकिन आप की दृढ़ इच्छा-शक्ति के कारण कुछ भी हो सकता है। ऐसा हमारा मानना है। महोदय जी इस परियोजना के बारे में जानकारी देने की कृपा करें।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    आडिल जी, सोनकर जी और यादव जी आप सबको नमस्कार।

–    आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे किसान भाई-बहनों को किसी तरह की तकलीफ न हो बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए नए-नए उपाय किए हैं।

–    मैंने निर्देश दिए थे कि सड़क, सिंचाई, बिजली या ऐसी किसी भी अधोसंरचना की बड़ी परियोजनाओं को हाथ में लेने के साथ ही, इस बात पर ध्यान दिया जाए कि अधूरी पड़ी या किसी भी कारण से अनुपयोगी हो गई परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, जिससे उस परियोजना में निवेश हो चुकी धनराशि का लाभ जनता को मिल सके। मुझे खुशी है कि दुर्ग जिले में इस सोच को साकार करने के लिए गंभीरता से पहल की गई।

–    आपने जिस सिपकोना नहर की बात की है, उसके बारे में कहा जाता है कि यह नहर एशिया की सबसे लंबी नहरों में शामिल है।

–    बताया गया कि वर्ष 2008 में इसे आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। लाइनिंग, सफाई और मरम्मत पर ध्यान दिया जाता तो इस योजना में हुए निवेश का बहुत लाभ किसान भाई-बहनों को मिलता।

–    मुझे खुशी है कि जिला प्रशासन ने पहल करके सिपकोना नहर को 22 की जगह 51 गांवों की जीवन-रेखा बनाने की दिशा में काम शुरू किया।

–    नहर में गाद भर जाने के कारण, पानी का प्रवाह रुक गया था, जिसके कारण नहर और खेत के बीच संबंध ही टूट-सा गया था। इसके कारण बड़े पैमाने पर पानी की बरबादी हो रही थी। नहर में पानी छोड़ने के बाद भी खेतों तक पानी न पहुंचे, यह स्थिति किसी भी हालत में ठीक नहीं थी, इसलिए तय किया कि सिपकोना नहर से गाद निकालना, मरम्मत करना और 8 किलोमीटर तक लाइनिंग का काम किया जाए।

–    इस तरह रणनीति अपनाने से पहले जो सिर्फ 22 गांवों को पानी मिल पाता था, वह अब 51 गांवों में पहुंचेगा।

–    बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के 7 गांवों में 1 हजार 259 हेक्टेयर और दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड के 44 गांवों में 10 हजार 252 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा दी जाएगी।

–    मुझे लगता है कि कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने का यह बहुत अच्छा मॉडल है। इसमें सिंचाई विभाग के अलावा मनरेगा की मदद भी ली जा रही है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यह कन्वरजेन्स का भी एक अच्छा प्रयास है।

–    दूसरा सवाल था, दुर्ग जिले में ही नंदिनी माइंस की अनुपयोगी हो चुकी खदान का।

–    दुर्ग शहर से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम नंदिनी में 2500 एकड़ की जमीन में पहले चूना पत्थर की खदान थी।

–    बरसों से इस खदान में खनन गतिविधियां बंद हैं।

–    जिला प्रशासन ने बहुत व्यापक सोच के साथ इस क्षेत्र में जंगल विकसित करने की कार्ययोजना बनाई है, जो दुर्ग-भिलाई के औद्योगिक प्रदूषण से निपटने में भी मदद करेगा और प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा।

–    इस क्षेत्र में 80 हजार से अधिक पौधे लगाने का काम शुरू किया गया है, जिससे बहुस्तरीय वन का विकास होगा।

–    यहां घास प्रजाति का पौधरोपण भी किया जाएगा ताकि पशुओं को अच्छी गुणवत्ता का चारा मिल सके।

–    परियोजना के तहत जैव विविधता का संरक्षण भी किया जाएगा।

–    जिससे इस मानव निर्मित विशाल वन क्षेत्र में वन्यप्राणियों का बसेरा और समूचा अंचल वृहद ईको पर्यटन स्थल के रूप में आकर्षण का केन्द्र बनेगा।

एंकर

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में आपने व्यक्तिगत रुचि लेकर बहुत से ऐसे नवाचार किए हैं, जिसका लाभ अब लोगों को मिलने लगा है। भारत सरकार की बड़ी-बड़ी संस्थाओं ने भी छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में किए गए नवाचारों को अपनाने की सलाह अन्य राज्यों को दी है, जिसमें से एक मलेरियामुक्त बस्तर अभियान भी है। इस संबंध में हमारे श्रोताओं ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। आइए सुनते हैं।

बाइट-बुधरा, जिला- सुकमा।

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, राम-राम मुख्यमंत्री जी। मैं बुधरा, चिंतागुफा, जिला सुकमा से बोल रहा हूं। मुख्यमंत्री जी बस्तर को एक तरफ तो आदिवासी संस्कृति का गढ़ कहा जाता है लेकिन दूसरी ओर हमने देखा है कि इसे समस्याओं का गढ़ बनाकर रखा गया था। आपने मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के माध्यम से हमें बहुत बड़ी राहत दिलाई है। आज मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की सफलता की चर्चा चारों तरफ हो रही है तो हम यह जानना चाहते हैं कि जो काम बरसों से नहीं हो पा रहा था और लोग मलेरिया के शिकार हो रहे थे, वह काम आपके माध्यम से इतने कम समय में कैसे हो गया? कृपया मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के बारे में बताइए ताकि इसका लाभ प्रदेश के अन्य क्षेत्रों को भी मिल सके। आपको बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    बुधरा भाई जुआर-जुआर।

–    निश्चित तौर पर बस्तर को मलेरिया से बचाने की सोच और उस पर जिस तरह से अमल किया गया, उसे एक नवाचार ही माना जाएगा।

–    हमारी सरकार बनने के बाद बस्तर संभाग के सातों जिलों में जब हमने सर्वेक्षण कराया तो पता चला कि मलेरिया प्रभावितों के बारे में बताने वाला वार्षिक परजीवी सूचकांक, जिसे एपीआई कहा जाता है, वह 10 से अधिक था, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है।

–    यह भी पता चला कि यहां लक्षणविहीन मलेरिया के प्रकरण पाए जाते हैं।

–    मलेरिया के कारण कुपोषण, एनीमिया, मातृ मृत्युदर, शिशु मृत्युदर आदि समस्याएं बहुत बढ़ी हुई थीं।

–    हमने तुरंत इसके लिए कार्ययोजना तैयार की और मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की शुरुआत की गई।

–    इसके तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे किया और एक-एक व्यक्ति की जांच की गई।

–    निःशुल्क दवाएं दी गईं। घरों में मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव किया गया। मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी गईं।

–    इन प्रयासों के कारण एपीआई की दर लगातार कम हुई।

–    बीते एक साल में पॉजिटीविटी दर 4 दशमलव 6 प्रतिशत से घटकर 0 दशमलव 86 प्रतिशत पर आ गई।

–    बीजापुर जिले में मलेरिया की प्रभाव दर में 71 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा जिले में 54 प्रतिशत की कमी आई।

–    पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया की प्रभाव दर 45 प्रतिशत कम हो गई।

–    जिस तरह से युद्धस्तर पर काम हुआ उसकी सराहना नीति आयोग और यूएनडीपी ने की है तथा इसे देश के अन्य आकांक्षी जिलों के लिए भी अनुकरणीय बताया है।

–    मैं यह भी बताना चाहता हूं कि ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ का भी इसमें बहुत सहयोग मिला, जो कि अपने आप में एक नवाचार था।

–    मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से 11 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ।

–    इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला।

–    मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है। इसके लिए मैं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा इस काम में मदद करने वाले सभी लोगों को साधुवाद देता हूं।

एंकर

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपका कोई भी कार्यक्रम हो या छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान, स्वावलंबन, अभिमान या अस्मिता का विषय हो, तो नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी की चर्चा के बिना बात पूरी नहीं सकती।

–    इस बार भी बड़े उत्साह से हमारे श्रोता ने सुराजी गांव योजना के कई पहलुओं के बारे में अपनी बात रखी है। आइए सुनते हैं उनकी आवाज में उनकी बात।

बाइट-देवलता यादव, माँ गायत्री संघ समूह

–    नमस्कार मुख्यमंत्री जी, मोर नाम देवलता यादव हे। मोर समूह के नाम माँ गायत्री महिला संघ समूह हे। ‘नरवा, गरुबा घुरुवा, बाड़ी’ के तहत 6 एकड़ के जमीन मिले हे। ओमे हम 5 समूह के बहिनी मन काम करथन। अउ बीज ला लाए रहीं भिंडी, बरबट्टी, टमाटर, भांटा अउ। 1-1.5 लाख के फायदा होय हे। ओखर बर धन्यवाद।

बाइट-प्रदीप सिंह, भिलाई, जिला-दुर्ग

–    सर नमस्कार, भिलाई से बोल रहा हूं सर, मैं प्रदीप सिंह। सबसे पहले मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा। नरवा गरुवा, घुरुवा, बाड़ी का जो विजन लेकर चल रहे हैं। छŸाीसगढ़ का विकास कर रहे हैं।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    देवलता बहन और प्रदीप जी। आप सभी को नमस्कार और बहुत धन्यवाद।

–    सुराजी गांव योजना से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में जो बदलाव आ रहा है, उससे तो मैं भी रोमांचित और अभिभूत हूं। सबसे खुशी की बात यह है कि हम लोग एक दिशा देते हैं तो आप लोग उसमें काम करने की नई-नई संभावनाएं खोज लेते हैं।

–    यही तो नवाचार है।

–    हमने तो नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी को छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में बचाने की सोच के साथ, एक नए रास्ते पर चलना शुरू किया था लेकिन आप लोगों ने अपनी मौलिक सूझबूझ से, उसे इतना व्यापक रूप दे दिया है कि उसमें नए-नए उत्पाद और नए-नए रोजगार के अवसर बनने लगे हैं।

–    छत्तीसगढ़ में जल की उपलब्धता को लेकर बड़ी विलक्षण स्थिति है। हमारे प्रदेश में हिमालय के किसी ग्लेशियर से जल-धारा प्रवाहित नहीं होती। हमारी नदियां और नरवा हमारे लिए पानी के स्रोत हैं। इंद्रावती, महानदी, सोन, शिवनाथ, अटेम, महान व केलो आदि नदियों की संख्या तो सीमित हैं, लेकिन 2 से 11 किलोमीटर तक बहने वाले नालों की संख्या हजारों में है। इस तरह नरवा हमारी बड़ी अहम धरोहर हैं।

–    निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से नदी-नालों में जल कम हुआ है। इसलिए हमने समय रहते ‘नरवा’ परियोजना पर बल दिया। अभी तक लगभग 32 सौ नालों में जरूरी सुधार कार्य किया जा चुका है। आगामी साल करीब 11 हजार नालों को पुनर्जीवित करने की योजना पर हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।

–    मैं बताना चाहता हूं कि हमारे प्रयासों का असर जमीन पर दिखाई देने लगा है।

–    कई क्षेत्रों से भू-जल स्तर बढ़ने की सुखदायी खबरें आने लगी हैं।

–    जलवायु परिवर्तन से सूखे की परिस्थितियां बनने की चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है, लेकिन मुझे विश्वास है कि नरवा विकास की हमारी तैयारी, हमें हर संकट से उबार लेगी।

–    गरुवा से गोबर, गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और फिर सुपर कम्पोस्ट प्लस। देखिए गरुवा और घुरुवा को विकसित करने से कितने सारे नए रास्ते बनते चले गए और गोबर से कैसे धन बरसने लगा।

–    गोधन न्याय योजना के आंकड़े महीने में दो बार अपडेट होते हैं इसलिए हाल के, 8 सितम्बर के आंकड़े से एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस योजना से क्या लाभ मिल रहा है।

–  अभी तक गोबर बेचने वालों को 100 करोड़ 82 लाख रुपए, महिला स्वसहायता समूह को 21 करोड़ 42 लाख रुपए तथा गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

–    गोधन न्याय योजना से 1 लाख 77 हजार 437 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें भूमिहीनों की संख्या 79 हजार 435 है। प्रतिशत में देखें तो 44 दशमलव 48 प्रतिशत महिलाएं, 40 दशमलव 78 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 7 दशमलव 71 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 47 दशमलव 88 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग लाभान्वित हुए हैं।

–    वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट तथा सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन 11 लाख क्विंटल से अधिक हो चुका है और करीब 8 लाख क्विंटल की बिक्री भी की जा चुकी है। यह रूझान बताता है कि छत्तीसगढ़ में जैविक खाद के उपयोग के लिए तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। 1 हजार 634 गौठान आत्मनिर्भर बन चुके हैं।

–    बाड़ी के बारे में बात करेंगे तो आंकड़ा 2 लाख पार कर चुका है।

 

एंकर

–    मुख्यमंत्री जी, कोरोना काल को पूरी दुनिया में एक रुकावट, एक नकारात्मक नजरिए से देखा गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस दौरान भी सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में नए-नए तरीके से काम करने के उदाहरण देखे गए हैं, जिसमें शिक्षा का क्षेत्र भी है।

–    इस दौरान शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि दूर-दूर के गांवों में रहने वाले गुरूजनों ने भी ऐसे काम कर दिखाए हैं, जिनसे उनकी प्रतिभा, कौशल, लगन के बारे में भी समाज को नए सिरे से समझने का अवसर मिला। आइए सुनते हैं शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नवाचारों की जुबानी।

बाइट-भूमि डडसेना, जिला-कबीरधाम

–    माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी, सादर प्रणाम। मैं भूमि डड़सेना, जिला कबीरधाम से बोल रही हूं। लाउडस्पीकर गुरूजी, कार्टून वाली मैडम आदि कई नवाचारों के बारे में हमने सुना है। कृपया इस संबंध में हमें विस्तार से बताइए।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    भूमि बिटिया आपने बहुत बढ़िया सवाल किया।

–        वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी, कोरोना ने हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था।

–    ऐसी स्थिति में भी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रहे, इसके लिए ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। बहेबीववसण्पद नाम से एक पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गईं।

–    इस ऑनलाइन पढ़ाई से घर बैठे ही लाखों बच्चे सुरक्षित पढ़ाई करने लगे। इंटरनेट की पहुंच नहीं होने वाले क्षेत्रों व ऐसे बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं था, उसे ध्यान में रखते हुए मोहल्ला कक्षा प्रारंभ की गई। हमारे प्रदेश के शिक्षकों ने पढ़ाने के लिए कई नवाचारी गतिविधियां आयोजित कीं।

–    ये ऐसे काम थे, जिसके कारण स्थानीय स्तर पर शिक्षक- शिक्षिकाओं को बहुत लोकप्रियता भी मिली।

–    शिक्षकों की मेहनत से बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता बना रहा बल्कि पढ़ाई और अधिक रोचक और व्यापक हो गई।

–    मोटरसायकिल गुरुजी वीरेन्द्र भगत, स्कूटर वाली बहनजी दीपलता देशमुख, लाउडस्पीकर गुरुजी विजय तथा खोरबाहरा सोनवानी,  आमचो बस्तर रेडियो शैलेन्द्र तिवारी, सिनेमा वाले बाबू अशोक लोधी, पेटी वाली दीदी रीता मंडल, विज्ञान की रसोई विश्व मोहन मिश्रा, रेडियो गुरुजी योगेश पाण्डेय, कार्टून वाली मैडम अर्चना शर्मा, कहानी वाली टीचर वसंुधरा कुर्रे, बुल्टू के बोल स्वाति आनंद, सायकिल चलाते हुए पढ़ाने वाले रोहित साहू, सामुदायिक मुस्कान पुस्तकालय पुनारद राम निषाद, मिस्डकाल गुरुजी सीमा मिश्रा, चलित पुस्तकालय अर्शिया इकबाल, हर घर प्रयोगशाला संगीता पंडा, जापानी पद्धति से पढ़ाई शालिनी शर्मा, नन्हे शिल्पी अदिती शर्मा, एलेक्सा चन्द्रशेखर यादव, प्रोजेक्ट वाली बहन जी सरिता अग्रवाल, ब्लू टूथ बल्ब मास्टर विनीता सिंह, गूगल टीचर मोनसी वर्गिस, कठपुतली वाले टीचर उषा कोरी और सत्येन्द्र श्रीवास, एक कदम गांव की ओर विद्यामति साहू जैसे नाम शिक्षकों की नई पहचान बन गए हैं। इस तरह हमारे गुरुजनों ने अपनी लगन, निष्ठा और नवाचार से समाज में शिक्षकों की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है।

–    इन नवाचारी प्रयासों को न केवल राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली बल्कि पुरस्कार भी मिले हैं।

–    कोरोना काल में राज्य सरकार ने बच्चों को जनरल प्रोमोशन दिया। वहीं दक्षता वृद्धि करने के लिए सेतु पाठ्यक्रम भी चलाया।

–    मैं चाहता हूं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कोरोना काल में जिस तरह शिक्षा के नए-नए प्रयोग किए, उसे आगे भी करते रहें।

–    सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से सजाने और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की हमारी सोच एक बहुत बड़ा नवाचार है। स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत 171 स्कूलों का उन्नयन कोरोना काल में ही हुआ है। अब मैंने निर्देश दिया है कि इसी की तर्ज पर उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शाला भी विकसित की जाएं। यह नवाचार प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा और सामान्य तथा गरीब परिवारों के बच्चों का जीवन संवारेगा।

एंकर

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, बस्तर को लेकर हमेशा ही कोई न कोई कौतूहल बना रहता है।

–    आपने आदिवासी अंचलों में जनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और वहां की जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हैण्ड दिया, जिसके कारण बस्तर से प्रशासनिक नवाचारों की नई-नई कहानियां सामने आ रही हैं।

–    माननीय मुख्यमंत्री जी, पूना माड़ाकाल दन्तेवाड़ा के नाम से एक अभियान आपने दंतेवाड़ा जिले में शुरू किया था। इसके बारे में हमारे एक श्रोता ने अपनी जिज्ञासा प्रकट की है।

–    आइए सुनते हैं उनकी आवाज में उनके विचार।

बाइट-विसम्भर कश्यप, जिला-दंतेवाड़ा

–    मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मैं विसम्भर कश्यप पिता   बुधराम कश्यप, ग्राम बडे़ पड़ेना, विकासखण्ड गीदम, जिला-दंतेवाड़ा। आपने कहा था कि प्रदेश के जिन जिलों में सबसे ज्यादा गरीबी है, वहां जीवन स्तर उन्नयन और आजीविका के लिए स्थायी समाधान किए जाएंगे। इस कार्यक्रम को पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा का नाम दिया गया था। हम जानना चाहते हैं कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत क्या प्रगति हुई है। इससे दंतेवाड़ा जिले में रहने वाले लोगों को किस तरह का लाभ मिल रहा है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–    विसम्भर जी जय जोहार। बहुत अच्छा सवाल किया आपने।

–    मैं बताना चाहता हूं कि दंतेवाड़ा में इन दिनों जो बदलाव की बयार चल रही है, उसमें हमारे इस अभियान की बहुत बड़ी भूमिका है।

–    आपने डेनेक्स ब्रांड की कपड़ा फैक्ट्री के बारे में तो सुना ही होगा।

–    31 जनवरी 2021 को इसका उद्घाटन हुआ था और आज इसमें 300 परिवारों को रोजगार मिल रहा है।

–    इसी तरह के 3 और केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें लगभग 1200 लोगों को रोजगार मिलेगा।

–    डेनेक्स ब्रांड को अब एफपीओ सेक्टर में भी उतारा गया है, जिसके अंतर्गत दंतेवाड़ा जिले में खाद्य सामग्री तथा हस्तकला की सामग्री भी बेची जा रही है।

–    किंग कड़कनाथ, छिंदगुड़, मौरिंगा पाउडर, कोदो-कुटकी, इमली, चार बीज आदि को बड़ा बाजार मिलने लगा है।

–    दंतेवाड़ा जिले में लघु वन उपज, खाद्य, उद्यानिकी और खनिज उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए 500 एकड़ भूमि का चिन्हांकन कर लघु उद्योगों की स्थापना की जा रही है, जिसमें 5 हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा।

–    इसके अलावा ग्राम स्वरोजगार केन्द्र, नव चेतना बेकरी, वनोपज संग्रहण, मनरेगा, गोधन न्याय योजना, बिहान योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, वन अधिकार अधिमान्यता पत्र प्रदाय, कृषि विकास, दंतेश्वरी माई मितान पेंशन योजना आदि के माध्यम से पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा को व्यापक सफलता मिल रही है, जिसका लाभ जीवन स्तर उन्नयन, बेहतर स्वास्थ्य तथा बेहतर आजीविका के रूप में मिल रहा है।

–    प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों को महत्व देते हुए हमने अल्प समय में ही 5 नए जिले बनाने की पहल की है। साथ ही जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान संचालित करने की खुली छूट दी है ताकि स्थानीय जनता की सोच, इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन अधिक सक्षम हो सके।

–    हर पहल का सीधा फीड बैक मिले और सुधार का सिलसिला जारी रहे। जनसुविधा और सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता मिले। मैं चाहूंगा कि लोकवाणी की आगामी कड़ियों में भी इस विषय पर चर्चा की जाए।

–    अंत में एक बार फिर कहना चाहता हूं कि हमारा मुख्य उद्देश्य जनता को सशक्त करना है, विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है और हम सबको मिलकर ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ना है।

एंकर

–    श्रोताओं लोकवाणी का आगामी प्रसारण 10 अक्टूबर, 2021 को होगा, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ विषय के भाग दो पर चर्चा करेंगे, जिसमें कुछ और नवाचारों, कुछ और नए कदमों और कुछ नई योजनाओं के बारे में बात की जाएगी। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक 27, 28 और 29 सितम्बर, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर इस प्रकार हैं। 0771-2430501, 2430502, 2430503।

–    इसी के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न होता है, नमस्कार, जय-जोहार।

©बिलासपुर से शैलेन्द्र बंजारे की रपट

 


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