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निष्ठावान कलाम | ऑनलाइन बुलेटिन

©डॉ. सत्यवान सौरभ

परिचय- हिसार, हरियाणा.


 

 

 

सदियों में है जनमते, निष्ठावान कलाम।

मातृ भूमि को समर्पित, किये अनूठे काम।।

 

धीर वीर थे साहसी, करते सभी सलाम।

पूत सपूत अनेक है, न्यारे एक कलाम।।

 

नित शाबाशी मिल रही, किये अनोखे काम।

खुदगर्जी में डूबकर, बदले नहीं कलाम।।

 

जिये मरे हम वतन पे, करिये ऐसे काम।

बनो विवेकानंद तुम, या फिर बनो कलाम।।

 

आज बालकों में कहाँ, अब्दुल, नानक, बुद्ध।

क्यों सौरभ है सोचिये, शिक्षण हुआ अशुद्ध।।

 

खून सभी का एक सा, अब्दुल बोस हमीद।

इनसे ही है देश की, दीवाली और ईद।।

 

ज्ञान क्षितिज पर था रहा, हुआ नहीं अंधकार।

सौरभ आज कलाम से, जग में है उजियार।।

 

अपने ज्ञान विज्ञान से, बदल गये वो दौर।

खोजे सभी कलाम की, सृजन की सिरमौर।।

 

या वैज्ञानिक हो रहे, या फिर रहे निजाम।

रहे देखते देश हित, सौरभ सदा कलाम।।

 

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