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भारत और मालदीव के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण, लेकिन फिर भी मदद को आगे आया भारत; लोगों को नहीं सोने देगा भूखा

नई दिल्ली
भारत और मालदीव के बीच पिछले कुछ समय से संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। हालांकि भारत ने इसके बावजूद मालदीव के लिए आवश्यक वस्तुओं के निर्यात की मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने मालदीव को कई आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को मंजूरी दे दी है, जिनमें चावल, गेहूं और प्याज जैसी वस्तुएं शामिल हैं। सरकार ने इनके निर्यात पर वर्तमान में प्रतिबंध लगाया हुआ है। दरअसल भारत चावल, चीनी और प्याज का प्रमुख निर्यातक देश है। लेकिन आम चुनाव से पहले स्थानीय कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए इन खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर कई प्रतिबंध लगाए हैं।

मालदीव को क्या-क्या भेज रहा भारत?
सरकार ने एक अधिसूचना में कहा कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 2024/25 वित्तीय वर्ष में मालदीव के लिए इन वस्तुओं के "निर्यात पर किसी भी मौजूदा या भविष्य के प्रतिबंध से छूट दी जाएगी।" भारत ने मालदीव को 124,218 मीट्रिक टन चावल, 109,162 टन गेहूं का आटा, 64,494 टन चीनी, 21,513 मीट्रिक टन आलू, 35,749 टन प्याज और 427.5 मिलियन अंडे के निर्यात की अनुमति दी है। इसके अलावा, भारत ने 10 लाख टन पत्थर और इतनी ही नदी की रेत के निर्यात की भी अनुमति दी है।

माले में भारतीय उच्चायोग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि सरकार ने मालदीव सरकार के अनुरोध पर इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी है। वस्तुओं के निर्यात को लेकर दोनों देशों के बीच 1981 में तंत्र स्थापित किया गया था। उसके बाद से पहली बार इतनी भारी मात्रा में वस्तुओं का निर्यात किया जा रहा है। निर्यात के लिए मंजूरी ऐसे समय में आई है जब भारत और मालदीव के बीच संबंध निचले स्तर पर हैं, खासकर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पिछले साल चुनाव के बाद से रिश्ते और खराब हुए हैं।

अंडे, आलू भी भेजेगा भारत
बयान में कहा गया है, “मालदीव में निर्माण उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए महत्वपूर्ण नदी रेत और पत्थर का कोटा 25% बढ़ाकर 1,000 मीट्रिक टन कर दिया गया है। अंडे, आलू, प्याज, चीनी, चावल, गेहूं का आटा और दाल के कोटा में भी 5% की वृद्धि की गई है।” बता दें कि भारत ने घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मई 2022 में गेहूं के निर्यात और जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने पिछले दिसंबर में करीब चार महीने के लिए प्याज के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, भारत ने अलग-अलग देशों के आधार पर बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख साझेदारों को चावल, गेहूं और प्याज की आपूर्ति की है।

'नेबरहुड फर्स्ट' नीति
बयान में कहा गया है कि भारत ने इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद मालदीव को चावल, चीनी और प्याज की आपूर्ति जारी रखी। इसमें कहा गया है, "भारत अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति (पड़ोस प्रथम) के तहत मालदीव में मानव केंद्रित विकास का समर्थन करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।" भारत का नाम लिए बिना, मुइज्जू ने हाल के हफ्तों में बार-बार कहा है कि वह खाद्य सुरक्षा के लिए किसी एक देश पर मालदीव की निर्भरता को कम करना चाहते हैं।  

  चीन समर्थक झुकाव रखने वाले मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर भारत से अपने 88 सैन्य कर्मियों को मालदीव से बुलाने के लिए कहा। उन्होंने भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। मुइज्जू ने कई बार कहा है कि 10 मई के बाद किसी भी भारतीय सैन्यकर्मी को मालदीव में रहने की इजाजत नहीं होगी। हेलीकॉप्टर संचालित करने के लिए तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों का पहला जत्था देश छोड़ चुका है। मुइज्जू ने कहा है कि दूसरे विमानन प्लेटफॉर्म पर तैनात भारतीय सैनिक भी इसी महीने लौट जाएंगे। उन्होंने कहा है कि तीसरे विमानन प्लेटफॉर्म का संचालन करने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों को 10 मई तक लौटना होगा।

 


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