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रूस ने प्रधानमंत्री मोदी के भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के सपनों पर मुहर लगाई

मॉस्को
 रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के सपनों पर मुहर लगा दी है। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा है कि अगले तीन साल में भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। उन्होंने रूसी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में भारत-रूस दोस्ती में अमेरिका को विलेन करार दिया। डेनिस ने कहा कि अब तो अमेरिकी अधिकारी यह कहने से भी नहीं हिचकिचाते हैं कि वे भारत को रूस से अलग करने के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, भारत को रूस के साथ संबंध रखने पर प्रतिबंधों की धमकी भी देता है। कुछ भारतीय साझेदारों को रूस के साथ संबंध रखने को लेकर अत्याधिक सावधानी बरतने के लिए मजबूर किया जाता है। डेनिस अलीपोव ने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें अमेरिका का यह दृष्टिकोण अस्वीकार्य है।
भारत-रूस संबंधों को बताया ऐतिहासिक

रूसी मीडिया आरटी को दिए इंटरव्यू में अलीपोव ने कहा कि भारत और रूस ने दशकों से ऐतिहासिक संबंधों और साझा हितों पर आधारित एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाए रखी है। इस रिश्ते के केंद्र में व्यापक रक्षा सहयोग है, जिसमें रूस, भारत को सैन्य उपकरणों के एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में काम कर रहा है और दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास, उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों के साझा विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में, ऊर्जा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक और मजबूत स्तंभ बन गया है। भारत का सबसे बड़ा कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएनपीपी), मास्को द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की जमकर तारीफ की

पिछले 18 महीनों में, भारत रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक के रूप में उभरा है। हालांकि, इसे लेकर भारत को पश्चिमी मीडिया और वहां के कुछ राजनेताओं के आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। अलीपोव ने कहा, भारत ने प्रभावशाली परिणाम हासिल किये हैं। आज से 10 साल पहले भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था और अब पांचवे स्थान पर है। मौजूदा अनुमान के मुताबिक अगले तीन सालों में इसकी जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जो इसे शीर्ष तीन देशों में शामिल कर देगी। आज भारत सोने और विदेशी मुद्रा भंडार (586 बिलियन डॉलर) के मामले में चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि भारत यहीं रुकने वाला नहीं है, वह कई क्षेत्रों में गुणात्मक परिवर्तन जारी रखे हुए है। यह दुनिया में सबसे गतिशील रूप से विकासशील ध्रुवों में से एक है और रूस और कई अन्य देशों के लिए प्राथमिकता वाला व्यापार और निवेश भागीदार है।


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