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डूब ही नहीं सकते हैं भारत के ये तीन बैंक, हमेशा सुरक्षित रहेगा इसमें आपका पैसा | RBI D-SIBs List

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | The condition of the economy of any country can be ascertained to a great extent by looking at the condition of the banks there. This is the reason why some banks are very important for the government and no government can afford their collapse. There are three such banks in India which are very important for the country’s economy.

 

Online bulletin dot in : किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का हाल वहां के बैंकों की स्थिति को देखकर काफी हद तक पता लगाया जा सकता है. यही कारण होता है कि कुछ बैंक सरकार के लिए बहुत जरूरी होते हैं और उनका गिरना कोई भी सरकार अफोर्ड नहीं कर सकती है. भारत में भी ऐसे तीन बैंक हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के अति-महत्वपूर्ण हैं. इन 3 बैंकों का नाम है SBI, ICICI और HDFC बैंक. RBI इन बैंकों D-SIB लिस्ट में रखती है, और इनके लिए कड़े रेगुलेशंस बनाए गए हैं. (RBI D-SIBs List)

RBI D-SIBs List

बीते एक हफ्ते में अमेरिका के दो बैंक सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब चुके हैं. तीसरे बैंक यानी फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को दूसरे बड़े बैंक्स ने 30 अरब डॉलर की मदद देकर बचाया है. वैसे तो अमेरिकी बैंकों के डूबने का भारत की बैंकिंग व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, पर एक के बाद एक बैंक डूबने की इस घटना ने लोगों की चिंता ज़रूर बढ़ा दी है. लोग इस बात को लेकर चिंता में हैं कि अगर कभी उनका बैंक डूब गया तो उनके पैसों का क्या होगा? ऐसा होने पर सरकार पांच लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर देती है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में तीन बैंक ऐसे हैं जो इतने बड़े हैं कि वो डूब ही नहीं सकते. ऐसे बैंक्स कहलाते हैं D-SIB. RBI ने ICICI बैंक, SBI और HDFC बैंक को D-SIB माना है. (RBI D-SIBs List)

 

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D-SIB क्या होते हैं?

 

टेक्निकल शब्दों में कहें तो डोमेस्टिक सिस्टमेटिकली इम्पॉर्टेंट बैंक. माने वो बैंक जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए इतने ज़रूरी होते हैं कि इनका डूबना सरकार अफोर्ड नहीं कर सकती. क्योंकि इनके डूबने से देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा सकती है. जिसकी वजह से आर्थिक संकट और पैनिक की स्थिति बन सकती है. अंग्रेज़ी में ऐसे बैंक्स के लिए too big to fail फ्रेज़ का इस्तेमाल किया जाता है. (RBI D-SIBs List)

 

बैंकों को D-SIB घोषित करने की व्यवस्था 2008 की आर्थिक मंदी के बाद शुरू हुई. तब कई देशों के कई बड़े बैंक डूब गए थे, जिसकी वजह से लंबे समय तक आर्थिक संकट की स्थिति बनी हुई थी. 2015 से RBI हर साल D-SIB की लिस्ट निकालता है. 2015 और 2016 में केवल SBI और ICICI बैंक D-SIB थे. 2017 से HDFC को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया. (RBI D-SIBs List)

 

कैसे चुने जाते हैं D-SIB?

 

RBI देश के सभी बैंकों को उनकी परफॉर्मेंस, उनके कस्टमर बेस के आधार पर सिस्टमैटिक इम्पॉर्टेंस स्कोर देता है. किसी बैंक के D-SIB के तौर पर लिस्ट होने के लिए ज़रूरी है कि उसकी संपत्ति राष्ट्रीय जीडीपी के 2 प्रतिशत से ज्यादा हो. बैंक की इम्पॉर्टेंस के आधार पर D-SIB को पांच अलग-अलग बकेट्स में रखा जाता है. बकेट फाइव का मतलब सबसे ज्यादा इम्पॉर्टेंट बैंक, वहीं बकेट वन का मतलब है कम इम्पॉर्टेंट बैंक. अभी जो तीन बैंक D-SIB हैं उनमें SBI बकेट थ्री में है, जबकि HDFC और ICICI बैंक बकेट वन में हैं. (RBI D-SIBs List)

 

बैंक रन

 

बैंक रन यानी जब किसी बैंक के बहुत सारे ग्राहक एक साथ अपने पैसे निकालने लगें और बैंक का कैश डिपॉज़िट कम हो जाए या खत्म हो जाए. अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) इसी वजह से डूबा. और SVB के डूबने से बनी पैनिक की स्थिति के चलते सिग्नेचर बैंक भी बैंक रन का शिकार हो गया. (RBI D-SIBs List)

 

कैपिटल बफर

 

कैपिटल बफर माने बैंक के काम काज के लिए ज़रूरी कैश के अलावा एक्स्ट्रा कैश रखना. ताकि कैश की ज्यादा डिमांड होने पर उसे पूरा किया जा सके. इसे ऐसे समझिए- मान लीजिए आपके घरखर्च का महीने का बजट 10 हज़ार रुपये का है. अमूमन 10 हज़ार रुपये में आपका खर्च निकल जाता है. हालांकि, इसके ऊपर आप 5000 हज़ार एक्स्ट्रा रखते हैं, इमरजेंसी के लिए. (RBI D-SIBs List)

 

D-SIB बैंक होने का क्या मतलब है?

 

RBI ऐसे बैंक्स पर कड़ी नज़र रखता है. ऐसे बैंक्स बाकी बैंकों की तुलना एक बड़ा कैपिटल बफर रखते हैं, ताकि बड़ी इमरजेंसी आने या कोई घाटा होने पर भी उससे निपटा जा सके. D-SIB से डील करने के लिए RBI ने अलग नियम बना रखे हैं. कैपिटल बफर के साथ-साथ ऐसे बैंकों को कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) कैपिटल नाम का एक एडिशनल फंड भी रखना पड़ता है.

 

RBI के लेटेस्ट गाइडलाइन के मुताबिक, SBI को अपने रिस्क वेटेट एसेट (RWA) का 0.60 प्रतिशत CET1 कैपिटल के तौर पर रखना ज़रूरी है, वहीं ICICI और HDFC बैंक्स को 0.20 प्रतिशत एडिशनल CET1 के तौर पर रखना ज़रूरी है. मतलब जो बैंक ज्यादा ज़रूरी बकेट में होगा उसे ज्यादा ऐडिशनल CET1 कैपिटल रखना होगा. (RBI D-SIBs List)

 

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