🔊 Listen to this ©अशोक कुमार यादव परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़. धुँक-धुँक के गिरत हे झिमिर-झिमिर पानी। गरजत हे बादर, छम-छम नाचे बरखा रानी।। हाथ-पाँव ह ठिठुर गे, देंह ह कँपकपावत हे। मनखे मन के सादा दाँत ह किनकिनावत हे।। सूक्खा नदिया, नरवा मन दउंड़ेला धरलिन। खंचवा,डबरा,बांधा अउ तरिया मन भरगिन।। डोलिया अउ बहरा … Continue reading सावन के झड़ी…
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