माया की छाया…

🔊 Listen to this ©रामकेश एम यादव परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.   तृष्णा तेरी कभी बुझती नहीं है। झलक इसलिए उसकी मिलती नहीं है। निर्गुण के आगे सगुण नाचता है, क्यों आत्मा तेरी भरती नहीं है।   पृथ्वी और पर्वत नचाता वही है, प्रभु से क्यों डोर तेरी बँधती नहीं है। कितनी मलिन है जन्मों से … Continue reading माया की छाया…