Snake; सांप …
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
ज़हर रख अपने फन में, सांप नज़र आए।
जब भी देखे सांप, सब डंडा लेकर भगाए।
रोम – रोम में भरा हैं विष मानव को,
काटे ऐसा की पानी भी मांग न पाए।
डस जो ले किसी को तो वो चक्कर खाए,
आस्तीन का सांप भला, कौन पहचान पाए,
सीधी नहीं चाल तेरी, लंबी तेरी काया,
विष उगले इतना, जिसे लगे वो जान गंवाए।
दुनिया वाले सर्प को बेकार बदनाम कर आए,
नाम लेकर सर्प का, खुद ही डंसता जाए।
शिव के गले में पड़कर भी जो मुस्काए,
इंसान से बड़ा ज़हरीला सांप कोई नज़र न आए।
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