पीछे मुड़ने की मन चाहा मुकाम पाने की है साथ भी है अरमान भी है यह तो स्वयं का मनोबल है। पास आऊं वो सारी बात सुनाऊं जिनसे मिली हैं खुशियां सारी जहां हम सब हैं एक समान
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मनोबल | ऑनलाइन बुलेटिन
©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका. परिचय– पथरिया, मुंगेली, छत्तीसगढ़ मन तो मेरा आसमान में उड़ने का है सोच नहीं है…
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