शिक्षक ! शिक्षा दीप जलाते हैं | ऑनलाइन बुलेटिन

©देवप्रसाद पात्रे
परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़
डाँट-डपट के छीनी हथोड़े से
हजारो जिन्दगियां सँवारकर,
नव भारत का निर्माण करने।
उच्च आदर्शों का बीज बोते,
हर कदम पर साथ निभाते हैं।
शिक्षक ! शिक्षा दीप जलाते हैं।।
गीली माटी को नया आकार देकर
व्यवहारिक ज्ञान व संस्कार सँजोकर।।
तर्क कसौटी की ज्ञान समझाकर।
अंधविश्वास के बदले विज्ञान बताकर।।
धरातलीय जीवन बोध कराते हैं।
शिक्षक ! शिक्षा दीप जलाते हैं।।
विद्यार्थियों के आंखों को पढ़ने वाले,
जड़ को चेतन बनाने वाले,
शारीरिक भाषा को समझ कर,
दुविधाओं के बवंडर मिटाने वाले।
सत्य ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं।।
शिक्षक ! शिक्षा दीप जलाते हैं।।
उद्देश्य की पूर्ति में पथ-प्रदर्शक।
सत्य आचरण का ढाल रक्षक।।
विद्यालय रूपी बाग के माली बनकर।
हर अंकुर में खाद-पानी सींचकर।।
हर शाखाओं में फूल खिलाते हैं।
शिक्षक ! शिक्षा दीप जलाते हैं।।