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खोए जनाधार को मजबूत करने की बसपा कर रही तैयारी, जमीनी स्तर पर शुरू किया ये बड़ा काम | newsforum

नई दिल्ली | बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपने खिसके जनाधार को ठीक करने के लिए अभी से कमर कसना शुरू कर दियाखोए जनाधार को मजबूत करने की बसपा कर रही तैयारी, जमीनी स्तर पर शुरू किया ये बड़ा काम | newsforum है। इस काम में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति के महीने भर के भीतर ही भीम राजभर जुट गए हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने शुरू से ही प्रदेशभर में जमीनी स्तर की समितियों के गठन के काम पर जोर देना शुरू कर दिया है। बूथ और सेक्टर स्तर पर समितियों का गठन किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं से पंचायत चुनाव के लिए भी तैयार रहने को कहा गया है, जिसमें पार्टी किसी भी उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर सके, जिससे लोगों के बीच पार्टी की मौजूदगी दिखनी शुरू हो गई है।

दरअसल, बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती को पता है कि उनकी पार्टी के जनाधार में पिछले कई चुनावों से जो पलीता लग रहा है, उसे ठीक किए बिना भाजपा और सपा से मुकाबला करना आसान नहीं है।

 

बसपा ने की जनाधार ठीक करने की तैयारी

 

बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने भीम राजभर को उत्तरप्रदेश में संगठन को कसने और उसके विस्तार की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी है और वो इसकी कोशिश में जुट भी चुके हैं। उन्होंने शुरुआत पूर्वांचल के जिलों से की है। बलिया, आजमगढ़, गाजीपुर और वाराणसी जिलों में उन्होंने घूमना शुरू कर दिया है। संगठन की कमजोरी की नब्ज पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी में आई इस सक्रियता की जानकारी रखने वाले लोगों की मानें तो बीएसपी अभी पूर्वी यूपी में पहले अति-पिछड़ी जातियों में अपने जनाधार को वापस खुद के साथ जोड़ने की पहल कर रही है। जानकारी के मुताबिक राजभर विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे और अति-पिछड़ी जातियों में अपनी पहुंच मजबूत करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद करेंगे।

 

हर चुनाव में खिसकता रहा है जनाधार

 

दरअसल, 2007 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद से बहुजन समाज पार्टी का प्रदेश में जनाधार लगातार खिसकता चला गया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में वह 30.43% वोट शेयर से खिसकर 25.91% पर पहुंच गई। 2017 में यह सिलसिला बरकरार रहा और उसे महज 22.23% वोट मिले। हाल में 7 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी वह सिर्फ 18.97% वोट लाई और सिर्फ बुलंदशहर की सीट पर उसका उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा। यह दिखाता है कि मायावती का अपना कोर वोट तो उनके साथ अभी भी काफी हद तक जुड़ा है, लेकिन 2007 में उन्होंने जिस सोशल इंजीनियरिंग की खिचड़ी पकाई थी अब उसमें उनका सफाया हो चुका है।

 

जमीनी स्तर के संगठन को दुरुस्त करने पर जोर

 

यही वजह है कि इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव से काफी पहले ही पार्टी ने बूथ स्तर और क्षेत्र के स्तर पर समितियों को सही तरीक से बनाने का काम शुरू किया है। इन गतिविधियों से जुड़े पार्टी के एक शख्स ने ईटी से कहा है कि ‘एक सेक्टर कमिटी में करीब 10 से 12 बूथ होते हैं। सेक्टर कमिटी में हर बूथ से एक पार्टी कार्यकर्ता प्रतिनिधि होता है। हमें लगता है कि बूथ और सेक्टर कमिटी बनाने का काम 2021 के अप्रैल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।’

 

पंचायत चुनावों में भी बसपा निभाएगी रोल

 

सबसे बड़ी बात है कि इसके साथ ही मायावती की पार्टी ने अभी से संभावित उम्मीदवारों की पहचान भी शुरू कर दी है। लेकिन, उससे पहले राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं, इसलिए पार्टी चाहती है कि लोगों में उसकी धमाकेदार मौजूदगी दर्ज हो। पार्टी के एक और शख्स के मुताबिक, ‘पंचायत स्तर पर बीएसपी किसी भी सही उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है। हमने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि पंचायत चुनावों में पार्टी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए तैयार रहें।’

 

मायावती के जन्मदिन की तैयारी शुरू

 

बसपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए पार्टी के पास एक मौका होता है 15 जनवरी का, जब इसकी सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन होता है। इस बार भी पार्टी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक इस बार हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के कार्यकर्ता बहन जी का जन्मदिन ‘जन कल्याणकारी दिवस’ के रूप में मनाएंगे।


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