The Mahabharata Era : देख हर कोई रह गया दंग… जब जमीन की खुदाई से निकली महाभारत काल की ये चीजें….
The Mahabharata Era :
The Mahabharata Era : राजा रजवाड़ों के शहर भरतपुर के डीग के गांव बहज में खुदाई के दौरान 700 ईसा पूर्व सभ्यता के प्रमाण मिले है. बताया जा रहा है कि 64 साल बाद बहज गांव में पुरात्व विभाग द्वारा उत्खनन सर्वे में 2500 साल से भी ज्यादा पुराने प्रमाण मिले गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर जमीन की खुदाई में यज्ञ कुंड, धातु के औजार, सिक्कों एवं आदि चीजें मिली है. (The Mahabharata Era)
The Mahabharata Era : भरतपुर के डीग के गांव बहज में खुदाई में मौर्य कालीन मातृदेवी प्रतिमा का सिर, शुंग कालीन अश्वनी कुमारों की मूर्ति फलक, अस्थियों से निर्मित उपकरण और महाभारत कालीन मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े आदि चीजें मिली हैं.
The Mahabharata Era : पुरातत्व विभाग के अनुसार अश्विनी कुमारों का नाम महाभारत में दूस्व और नासत्य था. अश्विनी कुमारों को नकुल और सहदेव का मानस पिता मानते हैं. माना जा रहा है कि बहज से पहले भारत में अब तक 700 ईसा पूर्व अश्विनी कुमारों के प्रमाण नहीं मिले हैं. और हजारों वर्ष पहले यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठान होने के प्रमाण भी मिले है. हवन कुंड से निकली मिट्टी को भी निकल कर के रखा जा रहा है. इसे विशेष महत्व का माना जा रहा है. हवन कुंड में धातु के औजार में सिक्के भी मिले है. पुरातत्वविदों की टीम यहां पर 4 महीने से खुदाई कर रही है.
The Mahabharata Era : अब यह अवशेष कुछ तो जयपुर भिजवाए जाएंगे और कुछ अवशेष डीग के जल महलो मेल में रखे जाएंगे. अधीक्षक पुरातत्व जयपुर मंडल ने कुछ महीने पहले यह सर्वेक्षण किया था जिसके बाद खुदाई का प्रस्ताव महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया था और फिर 10 जनवरी से खुदाई शुरू की गई थी. अब मिले गए अवशेषों को जयपुर कार्यालय भिजवा दिया है. महत्वपूर्ण पुरा अवशेषों को डीग संग्रहालय के नंद भवन में गैलरी बनाकर प्रदर्शित किया जाएगा. इन अवशेषों मे महाभारत कालीन बर्तन, शुंगकाल की अश्विनी कुमार की मूर्तियां भी मिली है.
The Mahabharata Era : डॉ विनय गुप्ता अधीक्षण पुरातत्वविद जयपुर मंडल ने बताया कि अब ब्रज क्षेत्र में लगभग 50 साल के लम्बे अंतराल के बाद मे बड़े स्तर पर खुदाई का कार्य हुआ है. पूर्व में कराई खुदाई में ऐसे प्रमाण नहीं मिले थे, अभी कुछ दिन तक और खुदाई का कार्य जारी रहेगा क्योंकि अभी कुछ और अवशेष सहित अन्य प्रमाण मिलने की भी संभावना है. इस लिए और खुदाई होगी.
The Mahabharata Era : इतिहास की जानकार डॉ.सुधा सिंह का कहना है कि स्कंदपुराण में डीग को दीर्घ अथवा दीर्घपुर बताया गाया है. इसकी मथुरा से दूरी करीब 24 मील बताई गई है. द्वापर युग से लेकर शुंग, कुषाण, मौर्य, गुप्त, मुगल, जाट काल सभी के यहां चिन्ह मिले हैं. समय काल को जानने के लिए अब कार्बन डेटिंग है. इसलिए अघापुर, मलाह, धून, कुम्हेर आदि प्राचीन टीलों का उत्खनन किया जाए तो इतिहास के कई अवशेष और यहां पर मिलेंगे.
The Mahabharata Era : पुरातत्वविद नीरज त्रिपाठी का कहना है.कि 1961 से 63 तक नोंह में उत्खनन हुआ था जिसमें चित्रित धूसर मृद्भाण्ड संस्कृति के अवशेष मिले हैं.अलिखित तांबे ढले सिक्के, मिट्टी की मूर्तियां, पत्थर व मिट्टी के मनके, तांबे की चूड़ियां व वलय, चक्की व चूल्हे भी मिले हैं. नौह शुंग-कुषाण युग की कला का प्रतिनिधित्व करता है. यहां से शुंग युग की अनेक यक्ष-यक्षणियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं. कुषाण नरेश हुविष्क एवं वासुदेव के भी सिक्के यह से मिले हैं. (The Mahabharata Era)
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