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हार का ठीकरा स्वामी प्रसाद मौर्य के सिर; सपा गठबंधन के नेता ने साजिश का जताया शक l ऑनलाइन बुलेटिन

लखनऊ | (उत्तर प्रदेश बुलेटिन) | प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा (समाजवादी पार्टी) की हार को लेकर अब गठबंधन के नेताओं के बीच एक दूसरे पर दोष मढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। सपा (समाजवादी पार्टी) गठबंधन में शामिल महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने हार के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य पर ठीकरा फोड़ दिया है।

 

चुनाव से ठीक पहले योगी कैबिनेट छोड़कर सपा (समाजवादी पार्टी) में आए स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर केशव देव ने कहा है कि उनका आना बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की साजिश का भी हिस्सा हो सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्य खुद तो ओवरकॉन्फिडेंस में थे ही, सपा के दूसरे नेताओं को भी उन्होंने ओवरकॉन्फिडेंस में ला दिया।

 

 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा है कि उनकी पार्टी को उचित सम्मान नहीं दिया गया। उन्होंने अपनी पार्टी को महज 2 सीटें दिए जाने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की है। केशव देव मौर्य ने मंगलवार को एबीपी न्यूज चैनल से कहा कि सपा (समाजवादी पार्टी) के प्रत्याशियों की ओर से महान दल के कैडर का कम इस्तेमाल किया गया। उस वोट पर सपा का फोकस कम था।

 

केशव देव मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बीजेपी की साजिश बताते हुए कहा कि उनका सपा (समाजवादी पार्टी) में आना बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की रणनीतिक चाल हो सकती है। उन्होंने कहा, ”सपा (समाजवादी पार्टी) के प्रत्याशी ओवरकॉन्फिडेंस हो गए थे और इसलिए उन्होंने ज्यादा मेहनत नहीं की। सपा के सभी प्रत्याशियों में ओवरकॉन्फिडेंस था।”

 

इसके लिए स्वामी प्रसाद मौर्य को दोषी बताते हुए केशव देव ने कहा कि वह खुद भी ओवरकॉन्फिडेंस में थे और सभी को ओवरकॉन्फिडेंस में ला दिया। केशव ने कहा कि जब तक स्वामी नहीं आए थे महान दल को तव्वजो दी जा रही ती, जब स्वामी प्रसाद मौर्य आए तो सपा (समाजवादी पार्टी) नेता ओवर कॉन्फिडेंस हो गए और महान दल को दरकिनार कर दिया गया।

 

 

गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव से ठीक पहले योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर सपा (समाजवादी पार्टी) में शामिल हो गए थे। उन्होंने सपा की जीत को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे। खुद अखिलेश यादव ने भी स्वामी के पार्टी में शामिल होने को जीत की निशानी बताई थी।

 

 

हालांकि, स्वामी प्रसाद मौर्य फाजिलनगर से अपनी सीट भी हार गए तो सपा (समाजवादी पार्टी) गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गया। सपा गठबंधन के तमाम दावों के विपरीत भाजपा गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत हासिल की।


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