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भारत के इतिहास में Babasaheb Ambedkar जैसा कोई नहीं…

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

भारत के इतिहास में बाबासाहेब अंबेडकर जैसा कोई नहीं हुआ जिन्हें बेशुमार शौहरत और सम्मान तथा हद से ज्यादा अपमान व घृणा एक साथ मिले हो. बहुमुखी प्रतिभा की ऊंचाइयों तक पहुंचे लेकिन आर्थिक तंगी से जीवन भर जूझते रहे. (Babasaheb Ambedkar)

 

तथागत बुद्ध के अनुयायी यह बाबासाहेब जैसे महामानव ही थे जो इतने दुख, तिरस्कार, अपमान व घृणा को झेल पाए. दूसरी ओर अपने अनुयायियों से मिले अथाह प्यार व सम्मान को सहज भाव से स्वीकार कर पाए.

 

हमारे मुक्तिदाता दुख में न टूटे, न बिखरे, न मकसद से विचलित हुए और सुख में न उछले, न आपा खोया. देश विदेश की शिक्षा व सम्मान, मंत्री से लेकर संविधान निर्माता बने. लेकिन न अहंकार आया, न अपनों को भूले.(Babasaheb Ambedkar)

 

धर्म के कट्टरपंथियों ने उन्हें मारने की धमकियां दी. समाज के रुढिवादियो ने उन्हें शैतान, राक्षस, पापी, नीच कहा. राजनीतिक विरोधियों ने देशद्रोही, गद्दार कहकर कोसा. बचपन से मृत्यु तक पग पग पर अपमान व अनगिनत गालियों को सहन करते रहें. अपने स्वास्थ्य और परिवार की चिंता छोड़ करोड़ों अछूतों की मुक्ति के लिए अपने लक्ष्य की ओर बिना थके, बिना रुके एक कर्मयोगी की तरह लगे रहे. डटे रहे.(Babasaheb Ambedkar)

 

जान से मारने की धमकियां, आलोचनाओं और प्रशंसाओं के भावों को समता भाव से स्वीकार करते हुए अपनी मंजिल की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहें ताकि करोड़ों शोषितों, वंचितों, महिलाओं, मजदूरों को मानवीय हक मिल सकें. भगवान बुद्ध का बताया मुक्ति का मार्ग मिल सकें.

 

विश्वरत्न बाबासाहेब की मृत्यु के इतने लंबे समय बाद भी उनकी स्वर्णिम आभा की चमक दिनोंदिन तेज हो रही है.समाज व देश के संकटों के समय आज उनकी चेतावनियां को याद कर अधिक अहमियत महसूस की जा रही है. बाबासाहेब आज अधिक प्रासंगिक है क्योंकि अंबेडकर में ही भारत का भविष्य है. (Babasaheb Ambedkar)

 

Babasaheb Ambedkar

संदर्भ ग्रंथ– बाबासाहेब अंबेडकर: लाइफ एंड मिशन.

 

 

 

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