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गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से आस्था का केंद्र बन रहा यूपी, एक नए युग की शुरुआत

नई दिल्ली
अयोध्या में बीती 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ और इसके गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई. राम मंदिर का निर्माण एक सपने के साकार होने जैसा है और इसी के साथ ही न सिर्फ अयोध्या बल्कि उत्तर प्रदेश भी आस्था के सबसे बड़ा प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है. राम मंदिर का निर्माण सिर्फ एक इमारत का निर्माण नहीं बल्कि एकता, विकास और भक्ति की मिसाल है और मंदिर बनने से उत्तर प्रदेश आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है.

उत्तर प्रदेश की धार्मिक-ऐतिहासिक विरासत को संजोने की कोशिश
आध्यात्मिकता के इस सुनहरे दौर के बीच इंडिया टुडे ने एक खास प्रोजेक्ट 'भक्ति का संगम' की शुरुआत की, जिसके तहत पिछले साल नवंबर में यूपी के प्रमुख तीर्थ स्थलों के दौरे की शुरुआत की थी. इस दौरान वाराणसी, प्रयागराज, नैमिषारण्य, मथुरा और वृंदावन जैसे धार्मिक स्थलों के दर्शन कर वहां की धार्मिक- ऐतिहासिक विरासत को संजोने की कोशिश की गई है.

आध्यात्म ही नहीं राज्य की अर्थव्यवस्था का भी आधार बना राम मंदिर
एक तरफ जहां राम मंदिर आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरा है, तो इसी के साथ यह बढ़ते पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास के जरिए राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम कर रहा है. मुख्यमंत्री आर्थिक विकास के लिए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर में मुखर रहे हैं, उन्होंने कई मंचों से बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की आवाजाही से लाभान्वित होने के लिए तैयार है. 

आध्यात्मिक केंद्र के रूप में मजबूत कर रहा है दावेदारी
उत्तर प्रदेश अब देश के आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अपनी दावेदारी मजबूत कर रहा है. प्रदेश के हर शहर की अपनी अलग आस्था है. वाराणसी का शाश्वत आकर्षण, प्रयागराज का दिव्य संगम, नैमिषारण्य का प्राचीन ज्ञान, गोरखपुर का रहस्यमयी आकर्षण और मथुरा-वृंदावन में कृष्ण भक्ति, सामूहिक रूप से उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक तस्वीर को समृद्ध करते हैं. धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में राज्य के लिए मुख्यमंत्री का विजन महत्वाकांक्षी है, जिसका लक्ष्य इसकी विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है.


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