जिसने गिरा दिया हो किरदार अपना | ऑनलाइन बुलेटिन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
जिसने गिरा दिया हो किरदार अपना।
लुटा दिया जिन्दगी में घरदार अपना।।
ज़िन्दगी मे जीने के कुछ उसूल रहें ।
हर कोई कहे वो वफादार अपना ।।
दिल लुट लेते परदे पर वो काम देख ।
देखने वाले कहे कलाकार अपना ।।
बना दे बेवकूफ कइयो को पल मे ।
विरोधी कहते सदा सरकार अपना ।।
नयी बिमारीया आयी है देश मे ।
हमेशा चेक करायें बिमार अपना ।।
जैसे को तैसा जमाने की रित रही ।
लोग भूला दे वैसे उपकार अपना ।।
‘शहज़ाद ‘दिल मे बसे को न भूल जाना ।
तुम खुद कहोंगे उसे दिलदार अपना ।।
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