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ठेकेदार का शुल्क वसूलने का अधिकार खत्म क्यों नहीं करते DRM और Sr-Dcm ?

रायपुर

रायपुर रेलवे स्टेशन का पार्किंग विवाद फिर तेज हो गया है. पार्किंग ठेकेदार ने अधिकारियों को फोन और मैसेज कर ये स्पष्ट कर दिया है कि वो सोमवार से नो-पार्किंग में खड़ी गाड़ियों पर जुर्माना वसूलेंगे. हैरानी की बात ये है कि जुर्माना वसूली की राशि का सीधा फायदा रेलवे को होगा. क्योंकि 50 रूपए की नो-पार्किंग जुर्माने में 40 रूपए रेलवे को मिलेंगे और 10 रूपए पार्किंग ठेकेदार को.

पिछले दिनों कलेक्टर, एसपी के नेतृत्व में रायपुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग का निरीक्षण हुआ. इसमें फैसला लिया गया था कि वहां एक बूथ बनाया जाएगा जिसमें जीआरपी-आरपीएफ और कमर्शियल विभाग के स्टॉफ बैठेंगे. लेकिन वहां बूथ तो बन गया लेकिन वहां बैठने वाला कोई स्टॉफ नहीं है.

रायपुर कलेक्टर और एसपी के नेतृत्व में हुई बैठक में पार्किंग विवाद को लेकर रणनीति बनाने की बात कही गई थी. रेलवे अधिकारियों ने मीडिया में ये बयान दिया था कि पार्किंग विवाद को लेकर नई रणनीति पर काम किया जाएगा. लेकिन रणनीति पर कोई लिखित आदेश न मिलने से पार्किंग ठेकेदार ने अब जुर्माना वसूली करने की बात अधिकारियों से कह दी है, जिसके बाद रविवार को भी विभाग के अधिकारी सक्रिय है.

लेकिन सवाल ये हैं कि यदि रेलवे अधिकारी पार्किंग विवाद नहीं चाहते तो सीधे-सीधे विवाद की जड़ यानी नो-पार्किंग शुल्क खत्म क्यों नहीं कर देते ? क्योंकि रेलवे अधिकारी खुद जानते है कि पार्किंग ठेकेदार को ये अधिकार खुद रेलवे ने दिया है और इसी अधिकार की एवज में करोड़ों रूपए के राजस्व का फायदा रेलवे को हुआ है. हालांकि रेलवे अफसर पार्किंग में जब भी कोई विवाद होता है तो इसका ठिकरा ठेकेदार की तरफ फोड़ देते हैं. लेकिन अधिकारी इसका जवाब नहीं दे पाते कि नो-पार्किंग शुल्क लेने का अधिकार उन्होंने पार्किंग ठेकेदार को क्यों दिया, जिसका सीधा फायदा रेलवे के राजस्व को होता है.


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