🔊 Listen to this ©अशोक कुमार यादव परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़. ठंडा-ठंडा चले पुरवई, बरसत हवय गुंगुर। जाड़ के दिन म हाथ-पाँव ह जावथे चंगुर।। जुन्ना सेटर संदूक भीतरी सूते खटखटावत हे। कथरी, चद्दर अउ कमरा मन बकबकावत हे।। साल, कंटोप, बेंदरा टोपी, गलबंधनी ह हाँसे। हतथा अउ मोजा ह लुकाके खिरकी … Continue reading जाड़ के जादू हे…
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