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कांग्रेस की नैया शीला दीक्षित के सहारे लगेगी पार? MCD चुनावों में दिवंगत नेता की विरासत को भुनाने की तैयारी में पार्टी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | चार दिसंबर को दिल्ली में होने वाले MCD (नगर निगम) चुनाव के लिए तीनों प्रमुख दल पूरी ताकत से प्रचार में लगे हैं। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) और दिल्ली की सत्तधारी आप (आम आदमी पार्टी) पहले ही अपने वादों का पिटारा खोल चुकी है और अपने प्रमुख चेहरों के दम पर चुनाव लड़ रही है। 

 

हालांकि कांग्रेस ने नगर निगम चुनावों में एक बार फिर से अपनी दिवंगत नेता शीला दीक्षित के ‘चेहरे’ पर भरोसा किया है। उनके निधन के 3 साल से अधिक समय के बाद भी, शीला दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की सबसे भरोसेमंद नेता बनी हुई हैं।

 

पार्टी ने उन्हें दिल्ली एमसीडी (नगर निगम) के आगामी चुनावों के लिए अपने अभियान का प्रमुख चेहरा बनाया है। शीला दीक्षित सबसे लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वे 1998 से 2013 तक लगातार 3 बार मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन उनके जाने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस फिलहाल पूरी तरह से गायब है।

 

कांग्रेस 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में एक भी सीट जीतने में विफल रही थी।

 

कांग्रेस का अभियान “शीला जी की दिल्ली”

 

4 दिसंबर को होने वाले एमसीडी चुनावों के लिए कांग्रेस का प्रचार अभियान “शीला जी की दिल्ली” पर केंद्रित है। पार्टी दिवंगत पूर्व सीएम के कार्यों को प्रचार में बता रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी शीला दीक्षित शासन द्वारा अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न मोर्चों पर किए गए कार्यों को प्रदर्शित कर रही है।

 

शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस को नई नवेली अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने दिसंबर 2013 के चुनावों में शिकस्त दी थी। हालांकि पूर्ण बहुमत ना होने के चलते केजरीवाल ने कांग्रेस के बाहर से समर्थन के दम पर सरकार का गठन किया था।

 

कांग्रेस ने 2007 में खो दी थी MCD की सत्ता

 

इससे पहले कांग्रेस 2007 के चुनावों में भाजपा के हाथों एमसीडी की सत्ता खो चुकी थी। तब से भगवा पार्टी ने नगर निकाय पर अपना कब्जा जारी रखा है। शीला दीक्षित सरकार ने 2011 में एमसीडी को तीन भागों में विभाजित किया था। हालांकि उन्होंने सीएम के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ही यह प्रस्ताव रखा था, जिसका तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाले निगम नेताओं ने कड़ा विरोध किया था।

 

हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस साल शीला दीक्षित सरकार का फैसला पलट दिया और अब एक बार फिर से दिल्ली के तीनों निकाय एक कर दिए गए।

 

हर तरफ से सत्ता गंवाने के बाद दिल्ली कांग्रेस में खूब गुटबाजी भी देखने को मिली थी। अब एक बार फिर से शीला दीक्षित के कार्यों को भुनाने के प्रयासों में कांग्रेस ने उनके नाम पर चुनावी अभियान तैयार किया है। कांग्रेस ने दीक्षित सरकार के तहत दिल्ली में निर्मित विशाल बुनियादी ढांचे को पेश करते हुए, एमसीडी चुनावों के लिए अपने अभियान में दीक्षित की विरासत पर वापस आने का फैसला किया है।

 

पिछले हफ्ते पार्टी ने शहर भर में प्रचार के लिए शीला दीक्षित की तस्वीर वाली 14 वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। आप की तरह, कांग्रेस ने भी कहा है कि अगर वह सत्ता में आती है तो वह दिल्ली की कचरा समस्या और एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर ध्यान देगी।

 

कांग्रेस वाली दिल्ली’ बनाम ‘भाजपा वाली दिल्ली’

 

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डीपीसीसी) के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने एमसीडी चुनावों के लिए पार्टी के प्रचार अभियान का थीम सॉन्ग लॉन्च किया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा, “यह गीत कांग्रेस पार्टी के 15 साल के शासन के दौरान की उपलब्धियों को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कैसे आम आदमी पार्टी और भाजपा ने मिलकर ‘कांग्रेस वाली दिल्ली’ को न केवल जहरीली हवा और पानी दिया है बल्कि अपनी विभाजनकारी राजनीति के माध्यम से भ्रष्टाचार के रूप में खुलकर प्रदूषित किया है।”

 

उन्होंने कहा, “शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के विकासोन्मुख शासन की उपलब्धियों को उजागर करने और एमसीडी में भाजपा और केजरीवाल सरकारों के भ्रष्टाचार, खोखले वादों और गलत कामों को उजागर करने के लिए थीम गीत घर-घर बजाया जाएगा।”

 

पार्टी ने शीला दीक्षित पर फोड़ा था हार की ठीकरा

 

हालांकि, कांग्रेस के कुछ अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि शीला दीक्षित को उनके जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में पार्टी ने उनका हक नहीं दिया। शीला दीक्षित 2013 के चुनावों में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल से 25,000 से अधिक मतों से हार गई थीं। तब उन्हें “अदूरदर्शी” कहा गया।

 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पार्टी के एक नेता ने कहा, “पार्टी में कई लोगों का मानना ​​था कि दीक्षित ने आप को कम करके आंका और नई पार्टी के आख्यान का दृढ़ता से मुकाबला न करके कांग्रेस की संभावनाओं को बर्बाद कर दिया था। उस समय, किसी ने नहीं सोचा था कि एक साल पहले बनी एक पार्टी अपने पहले चुनाव में एक से अधिक सीटें जीत सकती है, लेकिन पार्टी की नेता होने के नाते उन्हें ज्यादातर दोषी ठहराया गया था।”

 

पहले शीला दीक्षित के करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता अजय माकन को तब डीपीसीसी प्रमुख नियुक्त किया गया था। अगले कुछ वर्षों में, दोनों नेताओं के बीच विभिन्न कार्यक्रमों में मंच साझा करने से परहेज करने के साथ उनके बीच दरार और गहरी हो गई थी। हालांकि अब तमाम मतभेदों को किनारे रख कांग्रेस फिर से दिवंगत नेता के भरोसे मैदान में है।

 

MCD में 1,349 उम्मीदवार मैदान में

 

दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए कुल 67 उम्मीदवारों ने शनिवार को अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके चलते अब कुल 1,349 उम्मीदवार मैदान में हैं। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।

 

शनिवार को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि थी। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 55 निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया है।

 

बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 6 उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया। आंकड़ों के मुताबिक नाम वापस लेने वालों कुल 67 में से 34 पुरुष उम्मीदवार थे। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि इसके परिणाम सात दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।

 

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