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दीपक मेवाती को “वाल्मीकि जाति एवं पहचान की राजनीति” पर शोध करने पर मिली डॉक्टरेट की मानद उपाधि | ऑनलाइन बुलेटिन

चंडीगढ़ | [हरियाणा बुलेटिन] | प्रदेश के जिला नूंह तहसील तावड़ू गाँव सूंध के निवासी श्री रतिराम एवं श्रीमती सरोज के पुत्र दीपक को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की है. दीपक मेवाती ने अपना शोध ‘वाल्मीकि जाति एवं पहचान की राजनीति’ हरियाणा के नूंह जिले का अध्ययन’ विषय पर प्रोफेसर जगपाल सिंह के निर्देशन में पूरा किया है.

 

विदित हो कि दीपक शिक्षक व साहित्यकार भी हैं. वर्तमान में ये साहित्य चेतना मंच, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के उपाध्यक्ष हैं. इनकी पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। पुस्तक ‘सम्मान चाहिए’ और ‘बड़ा बेचैन सा हूँ मैं’ ने पाठकों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। दीपक ‘काव्य-संगम’, ‘काव्य-सुरभि’ एवं ‘जयप्रकाश वाल्मीकि की प्रतिनिधि कविताऐं’ का सफल संपादन भी कर चुके हैं। साहित्य के क्षेत्र में इन्हें दीपक मेवाती के नाम से जाना जाता है.

 

इनको पूर्वी दिल्ली नगर निगम (दक्षिणी क्षेत्र) शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित विज्ञान आधारित कविता पाठ प्रतियोगिता में दो बार सत्र (2012-13, 2014-2015) में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित, आदि कवि साहित्य धारा मंच, गुरुग्राम (हरियाणा) द्वारा ‘साहित्य श्री’ सम्मान 2018 और साहित्य चेतना मंच, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान 2020’ से सम्मानित किया जा चुका है।

 

श्री मेवाती के लेख, शोध-पत्र, कविता, ग़जल, देश-विदेश की विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित होते रहते हैं। दीपक मेवाती समीक्षक और वक्ता भी हैं।

 

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