.

ED ने तीन महीने में ही जब्त किए 100 करोड़ कैश, आखिर इन पैसों का क्या होता है? यहां जानें | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने पिछले 3 महीने में लगभग 100 करोड़ की नकदी जब्त की है। हाल फिलहाल की बात करें तो मोबाइल गेमिंग एप्लिकेशन से संबंधित धोखाधड़ी मामले में कोलकाता के एक व्यवसायी के आवास से 17 करोड़ से अधिक कैश बरामद किया गया है। ED (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारियों की ओर से बरामद की गई नकदी को गिनने के लिए कैश मशीन लगाई गई थी और बैंक के 8 अधिकारियों को बुलाया गया था। इस नकदी को लेकर सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इसका क्या किया जाएगा?

 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में निलंबित मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के अपार्टमेंट से 50 करोड़ नकद बरामद किया था। ईडी अधिकारियों की माने तो देश के इतिहास में यह नकदी की सबसे बड़ी जब्ती थी। पार्थ चटर्जी ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ कर्मचारियों, नौवीं-बारहवीं कक्षा के सहायक शिक्षकों और प्राथमिक शिक्षकों के कथित भर्ती घोटाले में शामिल हैं। अधिकारियों के संदेह है कि बरामद की गई राशि शिक्षक भर्ती घोटाले के जरिए इकट्ठा की गई थी।

 

नोट गिनते-गिनते थक गए थे बैंक कर्मी

 

करीब 24 घंटे तक नकदी की गिनती चली थी। स्थिति ऐसी हो गई थी कि बैंक अधिकारी पहाड़ जैसे बरामद नोटों को गिनते-गिनते थक गए थे। इससे पहले ईडी अधिकारियों ने झारखंड खनन घोटाले में 20 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी जब्त की थी। उक्त जब्ती के अलावा, एजेंसी ने और भी कई अलग-अलग छापों में छोटी-मोटी रकम बरामद की है।

 

ईडी की ओर से बरामद नकदी का क्या होता है?

 

उस सवाल का जवाब भी हम आपको देने जा रहे हैं कि आखिरी ईडी की ओर से बरामद कैश का क्या किया जाता है। इसका भी एक प्रोटोकॉल होता है। जब भी कहीं से नकदी बरामद होती है कि तो सबसे पहले उसकी गिनती होती है। आमतौर पर यह गिनती बैंक के कर्मचारी करते हैं। गिनती के दौरान कौन-कौन से नोट और उनकी संख्या भी दर्ज की जाती है। इसके बाद इसे बक्से में भरकर उस पर सील लगाकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा में जमा कर दिया जाता है। अब इन जमा पैसों का क्या होता है यह भी एक अलग प्रक्रिया होती है।

 

पैसों से जुड़ी जानकारी देने के लिए मिलते हैं अवसर

 

नकदी की जब्ती के बाद जांच एजेंसी उस शख्स को पैसों के स्रोत के बारे में जानकारी देने का पूरा अवसर देती है। अगर जब्द नकदी को लेकर दिए गए सवाल से जांच एजेंसी संतुष्ट होती है तो ठीक है वरना जब्त कैश को गलत तरीके से अर्जित धन के रूप में माना जाएगा। यह सब कोर्ट की निगरानी में होता है।

 

कोर्ट भी जवाब से संतुष्ट होता है और कैश को सही पाता है तो उसे वापस देने का फैसला करता है। इसके बाद बरामद नकदी उस व्यक्ति को लौटा दी जाती है जिसके ठिकानों से उसे बरामद किया गया होता है। अगर सामने वाला शख्स आय के स्रोत के बारे में जानकारी नहीं दे पाता है तो फिर यह पैसे केंद्र सरकार के खजाने में चला जाता है।

 

 

RTI के तहत आपराधिक मामलों में मेडिकल रिपोर्ट देने से इनकार नहीं कर सकते अफसर : राज्य सूचना आयोग | ऑनलाइन बुलेटिन

 

 


Back to top button