भारत में पिछले 5 सालों में 2021 में सबसे ज्यादा बाघों का शिकार, महाराष्ट्र सहित 2 राज्यों में बाघ सबसे ज्यादा बने निशाना : डब्ल्यूपीएसआई | Onlinebulletin
देहरादून | Onlinebulletin | भारत में बाघ संरक्षण मुहिम के बीच चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) की रिपोर्ट मुताबिक, इस साल अब तक देशभर में अलग-अलग घटनाओं में 132 बाघों की मौत हो चुकी है। इसमें से 42 बाघों का शिकार किया गया। अभी दिसंबर तक बाघ के शिकार के केस बढ़ने की आशंका है। वहीं पिछले साल देश में 111 बाघों की मौतें हुई थीं, जिसमें से 31 शिकार के मामले थे। देशभर में इस साल अब तक 42 बाघों का शिकार हुआ है, जो कि पिछले पांच सालों में शिकार का सर्वाधिक आंकड़ा है।
भारत में पिछले दस सालों की बात करें 2016 में सबसे ज्यादा 50 बाघों का शिकार हुआ। इसके बाद चार साल तक बाघों के शिकार के आंकड़ों में कमी रही। डब्ल्यूपीएसआई के मुख्य कार्यकारी टीटो जोजेफ ने बताया कि बाघों की प्राकृतिक मौत का आंकड़ा बढ़ना चिंता का विषय नहीं है, लेकिन शिकार का आंकड़ा बढ़ना बड़ा खतरा है। यह सरकारी एजेंसियों और बाघ संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के लिए चिंता विषय है।
करंट बन रहा बाघों का काल
डब्ल्यूपीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल बाघों का सबसे ज्यादा शिकार मध्य भारत में हुआ। इसमें महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मामले सबसे ज्यादा रहे। टीटो जोसेफ के अनुसार, सबसे ज्यादा शिकार करंट से हुए। दरअसल, कोरोनाकाल में लोगों ने मीट के लिए जंगली सुअर या हिरण का शिकार करने के लिए करंट लगाया। करंट की तारों में बाघों के फंसने से मौत हुई। ऐसे मामलों में भी शिकार का केस दर्ज किया जाता है।
यह भी जानिए
भारत सरकार ने बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया। इसके तहत टाइगर रिजर्व बनाए गए. जहां 1973-74 में नौ टाइगर रिजर्व थे, वहीं अब इनकी संख्या 50 हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय की ओर से साल 2005 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) का गठन हुआ। भारत में इस समय करीब 2967 बाघ हैं।
बाघों के शिकार के आंकड़े
साल शिकार
- 2017 38
- 2018 34
- 2019 38
- 2020 31
- 2021 42