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कॉलेजियम के कामकाज की तीखी आलोचना कर किरेन रिजिजू ने पार की ‘लक्ष्मण रेखा’: न्यायपालिका पर कानून मंत्री की टिप्पणी से भड़के हरीश साल्वे | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

संविधान में नहीं है कॉलेजियम- कानून मंत्री 

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | न्यायपालिका को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की हालिया आलोचनात्मक टिप्पणी पर अपनी नाराजगी हाजिर करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री ने ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर दी है। रिजिजू ने हाल ही में कॉलेजियम के कामकाज की तीखी आलोचना की थी। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था (कॉलेजियम सिस्टम) पर शुक्रवार को प्रहार करते हुए कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है।

 

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायपालिका पर टिप्पणी के नाराज वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, “कानून मंत्री ने जो कुछ कहा, वह मेरी राय में लक्ष्मण रेखा लांघना है। अगर उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट को एक असंवैधानिक कानून को देखते हुए अपने हाथ खड़े कर देने चाहिए और उस कानून में संशोधन करने के लिए सरकार की दया पर भरोसा करना चाहिए, तो माफ कीजिए लेकिन वह गलत हैं।”

 

साल्वे भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के साथ टाइम्स नाउ समिट 2022 में ‘धीमी होती भारत की न्यायिक प्रणाली क्या है?’ विषय पर बोल रहे थे। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर उनकी राय के बारे में पूछे जाने पर, साल्वे ने कहा कि वह खुद इस व्यवस्था के आलोचक हैं।

 

कॉलेजियम के खिलाफ जमकर बोल रहे हैं कानून मंत्री

 

हाल ही में शीर्ष अदालत ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह नियुक्ति के तरीके को ‘‘प्रभावी रूप से विफल’’ करता है। कोर्ट ने कहा था कि उसने फाइलें भेजी हैं लेकिन नामों की मंजूरी में देरी होती है।

 

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने कहा, “कभी मत कहना कि सरकार फाइलों पर बैठी है। अगर ऐसा लगता है तो फाइलें सरकार को मत भेजो, तुम खुद से खुद को नियुक्त करो, तुम ही शो चलाओ…”

 

उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली को संविधान के लिए “एलियन” बताते हुए कहा था, “आप मुझे बताएं कि कॉलेजियम प्रणाली किस प्रावधान के तहत निर्धारित की गई है।” उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने विवेक से एक अदालती फैसले के जरिये कॉलेजियम का गठन किया।

 

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 1991 से पहले सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती थी। मंत्री ने कहा कि भारत का संविधान हर किसी और विशेष रूप से सरकार के लिए एक पवित्र दस्तावेज है।

 

संविधान में नहीं है कॉलेजियम- कानून मंत्री 

 

उन्होंने कहा, ‘‘अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सर्वथा अपरिचित (एलियन) हो सकती है। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा।’’ रीजीजू ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘आप मुझे बताइए कि किस प्रावधान में कॉलेजियम प्रणाली का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली में खामियां हैं और लोग आवाज उठा रहे हैं कि यह प्रणाली पारदर्शी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई जवाबदेही भी नहीं है। ’’

 

मोइली ने कोलेजियम प्रणाली संबंधी टिप्पणी को लेकर रीजीजू पर निशाना साधा

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर कानून मंत्री किरेन रीजीजू के एक हालिया बयान को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि उनका बयान कानून के प्रतिकूल था तथा बतौर मंत्री उच्चतम न्यायालय को ‘चुनौती देना’ उन्हें शोभा नहीं देता।

 

पूर्व कानून मंत्री मोइली ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली समय की कसौटी पर खरी उतरने वाली व्यवस्था है तथा इस बारे में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उन्हें बर्खास्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

 

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘कानून मंत्री ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में जो अजीबोगरीब टिप्पणी की है वह देश के कानून के पूरी तरह प्रतिकूल है। कानून मंत्री के लिए यह शोभा नहीं देता कि वह उच्चतम न्यायालय को इस तरह से चुनौती दें।’’ मोइली ने सवाल किया कि अगर इस तरह बयान दिए जाएंगे तो फिर लोकतंत्र कैसे बचेगा?

 

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