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अनूठी अदालत में पेशी पर आए सांप, बताई डसने की वजह; 100 वर्षों से चल रही है अनोखी परंपरा | ऑनलाइन बुलेटिन

सीहोर | [मध्यप्रदेश बुलेटिन] | Unique Snake Court: आस्था या अंधविश्वास: मध्यप्रदेश के सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में स्थित राम मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई। इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है पिछले 100 सालों से आस्था और अंधविश्वास की यह प्रथा चली आ रही है। इस प्रथा को लोगों का विश्वास कहें या आस्था या फिर अंधविश्वास इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

यहां सालों से नागों की अदालत लगती है, जहां पेशी पर नाग स्वयं मानव शरीर में आकर डसने का कारण बताते हैं। ग्राम लसूड़िया परिहार जंहा पर अदलात तो लगती है मगर नागों की यहां नाग स्वयं मानव शरीर में आकर बताते हैं कि उन्होंने उसे क्यों डसा था। आज भी सर्पदंश से पीड़ित लोग स्वस्थ होने के लिए मंदिर में आते हैं।

 

सीहोर के ग्राम रसुलड़िया परिहार जंहा पर अदलात तो लगती मगर नागों की यंहा नाग स्वंय मानव शरीर में आकर बताते है की उन्होने उसे क्यों डसा था अंधविश्वास लोगों में कितना हावी है इसका जीता जागता प्रमाण मप्र की राजधानी भोपाल के सीहोर जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को देखने को मिलती है।

 

जी हां यहां ऐसा सच देखने को मिला जिसे देख कोई भी दांतो तले अंगुली दबा ले। नजारा काफी चौंकाने वाला नजर आ रहा था। जैसे ही सांप की आकृति बनी थाली को नगाड़े की तरह बजाना शुरू किया गया, वैसे ही जिन लोगों को कभी भी सांप ने काटा था वे झूमने लगे और उनके शरीर पर नाग का कथित साया गया और उसने बताया कि क्यों डसा था।

 

पड़वा पर होता है आयोजन

 

दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को यह नजारा हनुमान की मडिय़ा के सामने लगी सांपों की पेशी के दौरान हजारों लोग यह जानने पहुंचे थे कि आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा। कारण जानने के लिए कांडी की धुन पर भरनी गाकर इन्हें पेशी पर बुलाया गया। इस दौरान पेशी पर पहुंचे सांपों ने शरीर में आकर काटने का कारण बताया गया। ग्राम के मदन मोहन शास्त्री की माने तो यहां होने वाली सांपों की पेशी हमारी तीसरी पीढ़ी करती आ रही है। कई लोग तो केवल इसी रहस्य को देखने गांव पहुंचे थे।

 

सांपों से लिया जाता है वचन

 

लसूडिय़ा परिहार में स्थित राम मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई। इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है। दीपावली के दूसरे दिन प्रदेश भर से सांप के काटने से पीड़ित लोग यहां आते हैं व काटने का कारण जानते हैं। कारण जानने के साथ ही दोबारा ऐसी घटना न हो जिसके लिए सांपों से वचन भी लिया जाता है

 

कांडी और भरनी की धुन पर लहराने लगने हैं लोग

 

पिछले एक साल में सांप के काटने से पीड़ित लोग अपनी परेशानी लेकर मंदिर पहुंचते है। जहां काटे जाने का कारण जानने के लिए ढोल मंजिरों और मटकी की धुन पर कांडी व भरनी गाई जाती है। जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति सांप की तरह लहराने लगता है। जहां पेशी पर बुलाए गए सांप काटे जाने का कारण बताते हैं। कांड़ी, भरनी और विशेष मंत्र के साथ दोबारा पीड़ित को न काटे इसका संकल्प लिया जाता है।

 

विज्ञान या अन्धविश्वास

 

आज के वैज्ञानिक युग में विज्ञान इस परंपरा को भले ही अंधविश्वास कह सकते हैं पर लोगों की आस्था और विश्वास इस परंपरा को न सिर्फ जीवित रखे हुए है बल्कि कथित रूप से इस परंपरा की बदौलत आज तक हजारों सर्पदश से पीड़ित यहां से स्वस्थ हो चुके हैं।

 

मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु ने बताया कि मंत्रोचार से उपचार होता है, पीड़ित की बीमारी ठीक हो जाती है। हम कई सालों से देखते आ रहे हैं, जिसे भी सांप काट लेता है उसका उपचार किया जाता है।

 

मंदिर के छोटू पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की परेशानी के लिए ये मेला लगता है, यह परंपरा सालों से चली आरही है। जिसको सांप ने काटा है उस पीड़ित में सांप की आत्मा आती है और बताती है क्यों काटा, यह सालों से चला आ रहा है। लाखों ने इसका लाभ लिया है।

 

नोट- इस तरह के अंधविश्वास और परंपराओं के बारे में www.onlinebulletin.in पुष्टि नहीं करता और न ही इस तरह की मान्यता को बढ़ावा देता है. ये स्टोरी केवल और केवल लसूडिया परिहार गांव के लोगों के आस्था, दावा और मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है.

 

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