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रामनवमी पर विशेष: 4 सौ सालों से यहां रखी है तुलसीदास के हाथों से लिखी मानस की पांडुलिपि, पढ़ें | ऑनलाइन बुलेटिन

भोपाल | [मध्य प्रदेश बुलेटिन] | भगवान श्रीराम को लेकर तमाम ग्रन्थ और पुस्तकें प्रकाशित की गईं लेकिन जो लोकप्रियता तुलसीदास द्वारा लिखी गई शरामचरितमानस को मिली, वह किसी अन्य को नहीं मिली। रामचरितमानस हिन्दू समाज द्वारा अधिकांश शुभ अवसरों पर गाई जाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरितमानस की हस्तलिखित पांडुलिपि आज भी सतना जिले के चित्रकूट में सुरक्षित रखी हुई हैं। इनमें मानस के 3 कांड की समूची पांडुलिपियां रखी हुई हैं। इनके संरक्षण का काम यहां का महलन मंदिर कर रहा है, जो गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरिदास का साधना स्थल भी बताया जाता है।

 

पीढ़ी दर पीढ़ी पांडुलिपियों के संरक्षण में लगे परिवार के सदस्य और महलन मंदिर के पुजारी सुखदेव त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर में तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के उत्तर कांड, अरण्य कांड और किष्किंधा कांड की पूरी पांडुलिपियां यहां सुरक्षित रखी गई हैं। इसके अलावा यहां अयोध्या कांड के कुछ भाग की पांडुलिपियां भी हैं और कुछ भाग उत्तर प्रदेश के राजापुर में है।

 

मंदिर में गुरु नरहरि की समाधि भी

 

चित्रकूट का महलन मंदिर आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व का मंदिर है। यहां गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरि की समाधि भी है। पुजारी ने बताया कि मंदिर की बनावट के कारण ही इसका नाम महलन पड़ा। बगल में तुलसीदास के गुरु नरहरि दास की समाधि भी है। तुलसीदास कई साल तक यहां रहे। महलन मंदिर कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में ही स्थित है। इसका निर्माण पन्ना के राजा मान सिंह ने कराया था।

 

संरक्षण के लिए संग्रहालय की आवश्यकता

 

रामचरितमानस की हस्तलिखित पांडुलिपि के संरक्षण के लिए संग्रहालय की आवश्यकता है। इस बात पर पुजारी ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन पांडुलिपियों को लेने के लिए दिल्ली, गुजरात और दक्षिण भारत के लोग आते हैं, लेकिन हमने दिया नहीं। चित्रकूट राम की नगरी है। संग्रहालय बनाना है तो यहीं बने। ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इनके भी दर्शन हों।


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