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गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी के बाद 2015 में गिर गई थी तत्कालीन सरकार, जानिए इसका इतिहास l ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | ऑनलाइन बुलेटिन | सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी को सबसे बड़ा अपराध माना गया है। गुरु गोविंद सिंह कृपाण रखते थे और पगड़ी बांधते थे। इसलिए सिख धर्म में इन दोनों चीजों को पवित्र माना गया है।

सिखों के सबसे बड़े धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में शनिवार को एक युवक ने श्रीसाहिब (कृपाण) उठा ली। लोगों ने उसे पकड़ लिया और बेअदबी के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला। अगले दिन कपूरथला के एक गुरुद्वारे में ऐसे ही आरोप लगाकर एक युवक को मार दिया गया। इससे पहले दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह नाम के एक शख्स की हत्या बेअदबी के आरोप में हुई थी।

 

सिख धर्म में बेअदबी का मतलब क्या है

 

पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर धरम सिंह ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने अपनी सारी शक्तियां गुरु ग्रंथ साहिब में समाहित कर दी थी। इसी वजह से सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु की उपाधि दी गई है। गुरु ग्रंथ साहिब को लिविंग गुरु (हमेशा के लिए अमर) माना गया है। इस ग्रंथ को गुरु का दर्जा मिला है तो जैसे गुरु का अपमान करना अपराध है। वैसे ही गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करना भी अपराध होता ।

 

गुरु ग्रंथ साहिब जहां रखी जाती है, उस पवित्र गुरुद्वारे को नुकसान पहुंचाना भी बेअदबी है। गुरु गोविंद सिंह कृपाण रखते थे और पगड़ी बांधते थे। इसलिए सिख धर्म में इन दोनों चीजों को पवित्र माना गया है। इनसे छेड़छाड़ को भी बेअदबी माना जाता है। इतना ही नहीं, गुरु गोविंद सिंह के बताए रास्ते और उनके इतिहास को किसी तरह बदलने की कोशिश करना भी बेअदबी माना जाता है।

 

सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी को सबसे बड़ा अपराध माना गया है। औरंगजेब के कहने पर सिख धर्म के सातवें गुरु हर राय के बेटे राम राय पर गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी करने का आरोप लगा। इसके बाद हर राय ने बेटे राम राय को उत्तराधिकारी चुनने से इनकार कर दिया ।

 

जानिए 20वीं और 21वीं सदी की बेअदबी से जुड़ी 4 बड़ी घटनाएं और उनका परिणाम

 

1.  साल 1929 में पंजाब में निरंकारी मिशन की स्थापना हुई थी। यह मिशन सभी धर्मों से अलग मानव कल्याण पर जोर देता था। इस मिशन के प्रमुख गुरबचन सिंह ने 1970 में गुरु गोविंद सिंह के बताए रास्ते और परंपरा को बदलने की कोशिश की। इसका परिणाम यह हुआ कि सिख समाज ने इसे बेअदबी माना और 1980 में गुरुबचन सिंह की हत्या हो ग

2. सिखों के लिए 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार अब तक की सबसे बड़ी बेअदबी की घटना है। जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सिख युवा हथियार लेकर स्वर्ण मंदिर में जमा हो गए। इससे निपटने के लिए इंदिरा गांधी के आदेश पर स्वर्ण मंदिर में आर्मी की एंट्री हुई। इस घटना में 83 सैनिकों की मौत हुई और 248 घायल हुए। 492 अन्य लोगों की भी घटना में मौत हुई। इस घटना का परिणाम यह हुआ कि इंदिरा गांधी की हत्या कर दी ग

3. 2007 एक बार फिर से पंजाब में बेअदबी की एक बड़ी घटना घटी। इस बार गुरमीत राम रहीम ने 10वें सिख गुरु गोविंद सिंह की तरह ही हू-ब-हू पोशाक पहन ली। सिख समुदाय को लगा कि रहीम गुरु गोविंद सिंह की नकल कर रहे हैं। इसके बाद पंजाब में जगह-जगह उग्र प्रदर्शन हुए। इस घटना का परिणाम यह हुआ कि प्रशासन ने बेअदबी के आरोप में गुरमीत राम रहीम पर केस दर्ज कर लिया

4. 2015 में पंजाब के फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब के साथ बेअदबी का एक मामला सामने आया। इस घटना में कुछ लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब के सौ से अधिक पेज को फाड़ दिया। इसे सिख समुदाय ने अपने पवित्र गुरु के साथ बेअदबी माना। घटना के विरोध में फिर तनाव के मामले सामने आए। परिणाम की बात करें तो दो साल बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन इसी घटना की वजह से हुआ।

बेअदबी कैसे बन जाता है एक राजनीतिक मुद्दा

 

2015 में फरीदकोट में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग (पेज) फटे पाए गए थे। इसके बाद उग्र प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस ने गोली चलाई। इसमें दो लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद 2017 में अकाली दल और भाजपा की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में पंजाब के कुल 117 विधानसभा सीट में से अकाली दल को 15 और भाजपा को 3 सीट मिली

 

2017 चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीट के साथ सरकार में वापसी की। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोगों से वादा किया था कि वह 2015 के मामले में न्याय दिलाएंगे, लेकिन अब तक इस मामले में कुछ खास नहीं हुआ है। इस मामले की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि 2021 में चरणजीत सिंह चन्नी ने सीएम बनते ही 2015 के मामले में न्याय दिलाने की बात कही है

 

धर्म से बेअदबी के मामले में कानून क्या कहता है

 

पंजाब में बेअदबी के इस तरह के मामले में पंजाब पुलिस आईपीसी की धारा 295 और 295a के तहत केस दर्ज करती है। पवित्र गुरुद्वारे को या वहां रखी किसी चीज को डैमेज करने के आरोप में दो साल की सजा होती है। धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के उद्धेश्य से कुछ किया जाता है तो तीन साल की सजा होती है। पंजाबी समुदाय के लोगों की मांग है कि गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी करने पर कम से कम 20 साल की सजा हो। पाकिस्तान में इस तरह के मामले में 10 साल की सजा दी जाती है

 

बेअदबी से जुड़ा कानून और उस पर क्या विवाद

 

2015 में फरीदकोट में बेअदबी का मामला सामने आने के बाद लोगों ने जमकर सरकार की आलोचना की। इसके बाद राज्य की भाजपा और अकाली दल की सरकार ने नए कानून के लिए नया सेक्शन 295aa जोड़ने के लिए एक बिल पास किया, लेकिन केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को संविधान की सेक्युलर भावना के खिलाफ बताकर ठुकरा दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर से 2018 में बिल पास कराया। इस बार सभी धर्म के बेअदबी को इसमें जोड़ा गया, लेकिन फिर से केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

 

बेअदबी से जुड़ा डेटा क्या तस्वीर बयां कर रहा

 

एनसीआरबी की 2018 से 2020 की रिपोर्ट को देखें तो पिछले कुछ सालों से धर्म से बेअदबी के मामले सबसे अधिक पंजाब में सामने आए हैं। आईपीसी की धारा 295 और 297 के तहत बेअदबी के मामले में केस दर्ज होते हैं

 

2018 में पंजाब में कुल क्राइम में धर्म से बेअदबी के 0.7% केस सामने आए थे। दूसरे सभी राज्यों में यह आंकड़ा 0.1% से 0.4% के बीच था। पंजाब में 2019 में बेअदबी के 0.6% केस और 2020 में 0.5% केस दर्ज हुए थे। हालांकि 2017 में गोवा में सबसे अधिक बेअदबी के 0.8% और पंजाब में 0.6% मामले सामने आए थे और पंजाब में 0.6% मामले सामने आए थे।


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