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मध्यप्रदेश में भाजपा की 2023 में पांचवी बार सरकार बनाने आदिवासियों पर नजर, अमित शाह नेताओं को देंगे जीत का मंत्र | ऑनलाइन बुलेटिन

भोपाल | [मध्यप्रदेश बुलेटिन] | चुनाव के प्रमुख रणनीतिकार [BJP] व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एकबार फिर चुनाव के पहले मध्यप्रदेश दौरे पर आ रहे हैं। जिस तरह 2017 में आकर वे कार्यकर्ताओं में 5-10 साल नहीं 50 साल तक शासन का मंत्र फूंककर गए थे, इस बार वे मध्यप्रदेश में पांचवीं बार पार्टी की जीत का मंत्र नेताओं-कार्यकर्ताओं को देकर जाएंगे। हालांकि 2018 में पार्टी चूक गई थी लेकिन 2020 में कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा लेते हुए फिर भाजपा की सरकार बनाने में उनका रोल अहम रहा था। इस बार वे फिर प्रदेश में पार्टी के लिए जुट गए हैं जिसमें उनका यह दौरा अहम माना जा रहा है। वे इस बार आदिवासियों के बड़े वोटबैंक को तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस वितरण कर साधकर अपनी बात रखने के साथ पूर्व की सरकारों की गलत नीतियों पर प्रहार करेंगे।

 

अमित शाह भाजपा के लिए बड़े चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं और उनकी चुनावी रणनीति से ही केंद्र में भाजपा की सरकार पहली बार बनी थी। इसके बाद देश के विभिन्न राज्यों में भाजपा की एक के बाद एक सरकारें बनाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। 2013 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति से भाजपा की तीसरी बार सरकार बनी थी और इसके बाद 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2020 में कांग्रेस पार्टी के भीतर के असंतोष का राजनीतिक फायदा लेकर चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका मानी जाती रही है।

 

चुनाव के पहले राज्यों में दौरे कर जायजा लेते हैं

 

भाजपा नेता अमित शाह की रणनीति को देखा जाए तो वे जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं वहां एक-डेढ़ साल पहले पहुंचकर जायजा लेते रहे हैं। पिछली बार 2017 में जब वे मध्यप्रदेश आए थे तो उन्होंने कार्यकर्ताओं में जीत का मंत्र फूंकने के लिए कहा था कि वे 5-10 साल के शासन का सोचकर काम नहीं करें बल्कि 50 साल के शासन की सोच रखें। भाजपा आने वाले 50 साल तक शासन करेगी। इस बार वे फिर मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनााव के सवा एक साल पहले आ रहे हैं और इस बार वे न केवल नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीत के लिए टिप्स देंगे बल्कि आदिवासी वोटबैंक को भी साधेंगे।

 

रोड शो से चुनावी बिगुल बजाएंगे

 

अमित शाह विधानसभा चुनाव के सवा एक साल पहले आ रहे हैं लेकिन उनका इस चुनावी दौरे से चुनावी बिगुल की शुरुआत होगी। वे नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भोपाल में दो किलोमीटर लंबा रोड शो भी करेंगे। इससे न केवल नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे बल्कि भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल भी बनाएंगे। रोड शो के बाद वे भाजपा कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।

 

आदिवासी वोटबैंक पर भाजपा की नजर

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मध्यप्रदेश के दौरे से भाजपा के टारगेट वोटबैंक को भी साधा जा रहा है। आदिवासी वोटबैंक पर भाजपा की 2018 विधानसभा चुनाव व 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से ही नजर है। इसके लिए लगातार जनजातीय वर्ग के लिए योजनाएं और उनके पूर्वजों के सम्मान में आयोजन किए जा रहे हैं। बिरसा मुंडा, टंट्या भील के लिए जिस तरह भाजपा ने मेगा शो किए उससे यह वोटबैंक कुछ प्रभावित भी नजर आ रहा है जिसकी झलक मध्यप्रदेश के विधानसभा उपचुनाव नतीजों में दिखाई दी है। अब इस बार अमित शाह के हाथों से तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस वितरण किया जा रहा है और तेंदूपत्ता संग्राहकों में बड़ी आबादी आदिवासी वर्ग की आती है। इसी तरह आदिवासियों को रिझाने के लिए 827 वनग्रामों को राजस्व ग्राम बनाकर उनकी परेशानियों को भी कमकरने का काम किया जा रहा है।


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