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पुनर्जन्म की सच्ची कहानी : जिस रोहित की मौत 8 साल पहले हुई, वो अब चंद्रवीर बनकर लौटा l Onlinebulletin

लखनऊ l मैनपुरी के नगला सलेही के रहने वाले प्रमोद कुमार श्रीवास्तव के लिए 4 मई 2013 का दिन उनकी जिंदगी का सबसे काला दिन था। इसी दिन उनका 8 साल का बेटा गांव के ही पास बनी नहर में नहाने गया था। रोहित का पांव फिसला और वो नहर के गहरे पानी में डूब गया। जब तक मदद पहुंच पाती उसकी जान चली गई थी।

रोहित अपने परिवार का इकलौता बेटा था। घर में उसके अलावा उसकी बहन भी थी लेकिन बेटे के जाने ने प्रमोद और उनकी पत्नी उषा को बुरी तरह से तोड़ डाला। हालांकि जिंदगी बिताने के लिए उनकी बेटी कोमल उनके साथ थी और उसी के सहारे वो अपनी जिंदगी बसर कर रहे थे।

 

 

19 अगस्त 2021 की सुबह 8 साल का एक लड़का उनके घर पहुंचा। उसने आकर जो बताया उस पर परिवार को भरोसा ही नहीं हुआ। 8 साल के उस बच्चे ने बताया कि उसका नाम चंद्रवीर है लेकिन असल में वो उनका बेटा रोहित है जिसकी मौत 8 साल पहले डूबने से हो गई थी।

 

 

परिवार को विश्वास नहीं हुआ उनको लग रहा था कि ये बच्चा किसी के कहने पर उनके साथ मजाक तो नहीं कर रहा है। सच्चाई जानने के लिए प्रमोद और उनकी पत्नी उषा ने बच्चे से कई सवाल पूछे जो जिनका जवाब उनका बेटा रोहित ही जान सकता था कोई बाहर वाला नहीं। चंद्रवीर ने प्रमोद और उषा के तमाम सवालों के जवाब दिए। इससे लग गया कि ये तो पुनर्जन्म (Reincarnation) का मामला है।

 

बात गांव में फैली तो प्रमोद के घर पर लोगों की भीड़ लग गई। तमाम लोग उस बच्चे को देखना चाह रहे थे जो अपनी मां से मिलने के लिए अपनी मौत के आठ साल बाद अपने घर लौटा था। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था और यकीन करने के लिए कुछ सवाल गांव के ही लोगों ने भी चंद्रवीर से कर लिए तो चंद्रवीर ने उनके सवालों का भी जवाब दिया।

 

 

इसी बीच गांव के ही स्कूल के टीचर भी भीड़भाड़ देखकर वहां पहुंच गए। अपने टीचर को देखकर चंद्रवीर ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और अपने स्कूल के टाइम की कुछ बातें भी उनको बताईं। बच्चे की बातें सुनकर खुद टीचर भी हैरान थे क्योंकि ना केवल वो उनका नाम जानते थे बल्कि वो ये भी जानता था कि उस वक्त वो उसे किस-किस सब्जैक्ट की पढ़ाई कराया करते थे।

 

 

दरअसल चंद्रवीर नाम का ये बच्चा मैनपुरी जिले के ही गांव नगला अमर सिंह का रहने वाला है। उसका जन्म रोहित की मौत के कुछ दिन बाद ही हुआ था। चंद्रवीर के पिता रामनरेश के मुताबिक जब वो चार साल का हुआ था तब से ही वो बताता था कि उसकी मौत नहर में डूबने से हुई है और उसका घर नगला सलेही नाम के गांव में है। हालांकि चंद्रवीर के मां-बाप ने शुरुआत में ध्यान नहीं दिया। उनको ये भी लगता था कि कहीं उनका बच्चा उनसे जुदा ना हो जाए।

 

लेकिन जैसे-जैसे चंद्रवीर बड़ा होता गया अपने मां-बाप से मिलने की उसकी जिद बढ़ती गई। थक हारकर 19 अगस्त को चंद्रवीर के पिता रामनरेश उसे लेकर उसके पुराने गांव में लेकर आए। चंद्रवीर ने गांव की गलियों को भी पहचान लिया और उस घर को भी पहचान लिया जहां पर रोहित रहता था।

रोहित के एक बार दोबारा जिंदगी में आने से उसका परिवार बेहद खुश है। हालांकि उन्हें इस बात का अंदाजा है कि इस जन्म में वो उनका नहीं बलकि किसी और का बेटा है जिस पर वो अपना हक नहीं जता सकते। दूसरी तरफ चंद्रवीर के परिवार का कहना है कि उन्हें चंद्रवीर के अपने पहले जन्म के मां-बाप से मिलने में कोई परेशानी नहीं है । वो उनसे वक्त-वक्त पर मिलने जा सकता है ।

 

 

इस बालक चंद्रवीर के वर्तमान पिता रामनरेश शंखवार ने बताया कि उसका पुत्र बचपन से ही पुनर्जन्म की बाते करता था और नगला सलेही आने की जिद्द करता था मगर कहीं उनका बच्चा उनसे दूर न चला जाये और अपने पहले जन्म के माता-पिता की तरफ न चला जाये इस लिए नहीं लाये बच्चे के बार-बार जिद करने पर उन्हें मजबूर होना पड़ा और वह उसे लेकर उसके पिछले जन्म के परिजनों से मिलाने ले आये।


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