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हाईकोर्ट ने रेप मामले में आरोपी की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा- फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना यौन संबंध का अधिकार देना नहीं, पढ़ें पूरा मामला | newsforum

शिमला | हाईकोर्ट ने कहा है कि फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने का मतलब नहीं है कि आरोपी ने नाबालिग के साथ यौन संबंध का अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त कर लिया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी 13 साल 3 माह की नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कही। हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनूप चितकारा ने कहा कि ”लोग नेटवर्किंग, ज्ञान और मनोरंजन के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं, ना कि यौन और मानसिक शोषण करने के लिए।”

 

अदालत ने कहा कि ”सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर युवाओं को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर नये संबंध बनाना असामान्य नहीं है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि सोशल मीडिया अकाउंट बनाने वाले बच्चे यौन संबंध का निमंत्रण प्राप्त करने के इरादे से रिक्वेस्ट भेजते हैं।”

 

मालूम हो कि आरोपी ने अदालत में दलील देते हुए कहा था कि लड़की ने अपने नाम से फेसबुक अकाउंट बनाया था। इसलिए उसने माना कि वह 18 वर्ष या अधिक उम्र की है। इसलिए सहमति से सेक्स किया।

 

अदालत का मानना है कि 13 वर्ष या अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति फेसबुक अकाउंट बना सकता है। इसलिए विवाद को स्वीकार्यता नहीं दी जा सकती है। आरोपी को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने से अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि सहवास के इरादे से आरोपी को रिक्वेस्ट भेजा था।

 

न्यायाधीश ने कहा कि ”लोग सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्मों का प्रयोग दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ जुड़ने के अलावा सामाजिक नेटवर्क का विस्तार करने के लिए करते हैं।

 

यूएनडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फेसबुक के 290 मिलियन पंजीकृत उपयोगकर्ताओं में से 190 मिलियन 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। इनमें से 15-29 वर्ष की आयु समूह के फेसबुक उपयोगकर्ताओं का हिस्सा 66 फीसदी है।

 

अधिकतर युवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद और सक्रिय हैं। इसलिए, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर युवाओं के लिए नये सामाजिक संबंध बनाना असामान्य नहीं है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि सोशल मीडिया अकाउंट बनाने वाले बच्चे यौन साझेदारों की खोज के लिए ऐसा करते हैं।


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