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छत्तीसगढ़ के इस तालाब में मिला सुकमा नस्ल का 120 किलो वजनी कछुआ | Newsforum

दुर्ग / धमधा | नगर के सबसे गहरे तालाब धमधा में मत्स्याखेट के दौरान जाल में भारी भरकम चीज फंस जाने से मछुआरों में कौतुहल मच गया। इस बीच कोई खजाने की बात करता तो कई कहता अलादीन का चिराग हाथ लगा है। देखते ही देखते लोगों की भीड़ तालाब के किनारे एकत्र हो गई। ग्रामीणों की मदद से मछुआरों ने जब जाल बाहर निकाला तो उसमें एक विशालकाय कछुआ फंसा नजर आया। जाल में फंसा कछुआ की उम्र 25 वर्ष बताई जा रही है, जिसे शिवनाथ नदी के मोतीमपुर देहरा में यह राम भाऊ ढीमर को मछली पकड़ने के दौरान मिला था, तब इसका वजन महज 200 ग्राम था। 25 वर्ष के अंतराल में कछ़ए ने 200 ग्राम से 120 किलो वजन का सफर पूरा किया है।

 

मछुवा सोसायटी के अध्यक्ष विजय ढीमर ने कछुआ को पिकअप में रखकर बाजार ग्राउंड लाया। ताकि नगरवासी इसे देख सके। इस कछुआ का वजन 120 किलो के आसपास है। यह सुकमा नस्ल का कछुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसे मैत्री गार्डेन या वन विभाग को सौंपे जाने का इरादा किया गया था और इसकी खास वजह यह थी कि कछुवा तालाब में रहकर हर रोज करीब 10-15 किलो मछली खा जाता है, जिससे दानी तालाब में मछली का उत्पादन उतना नहीं हो पाता है।

सभी की सहमति नहीं होने के कारण इसे वापस दानी तालाब में डाल दिया गया। कुछ मछुवारों का कहना है कि यह इस तालाब की पहचान है। और हम बचपन से इसकी कहानियां सुनकर बड़े हुए है। इसे देखने लोगों की भीड़ तालाब और वाहन के चारों ओर लगी रही। पानी में देखने पर इसकी विशालता का सहज अंदाजा लगाना मुश्किल होता है, लेकिन पानी के बाहर आने पर इसकी विशालता देखते ही बन रहीं थी।

 

यह कछुवा आज से छह साल पहले जाल में फंसकर बाहर आया था। तब इसका वजन तब 65 किलो के आसपास था। अब छह साल बाद जब आज यह फिर से बाहर निकाला गया तो यह देखने में और विशाल हो गया है। आज से 25 साल पहले 200 ग्राम का था, यह कछुआ जो की शिवनाथ नदी के मोतीमपुर देहरा में यह राम भाऊ ढीमर द्वारा मछली पकड़ने के दौरान मिला था, जिसे उन्होंने 25 साल पहले दानी तालाब में छोड़ा था।


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