ऐसे बच्चे क्यों होते हैं | ऑनलाइन बुलेटिन
©देवप्रसाद पात्रे
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़
बच्चों में अपनी खुशियां पाने माता-पिता रोते हैं।
हरपल अपना फर्ज निभाते फिर भी दोषी होते हैं।
समझ न आता है मुझको, ऐसे बच्चे क्यों होते हैं,,??
ऐसे बच्चे क्यों होते हैं??
पेट में खेला लात से मारा, बड़ा होकर क्यों बात से मारा।
नखरे तेरे बड़े निराले, भोजन की थाली जमी पे मारा।।
नटखट हर नखरे को तेरे, माता-पिता ढोते हैं।।
ऐसे बच्चे क्यों होते हैं,,??
तेरी एक मुस्कान के खातिर, बनता छुकछुक रेलगाड़ी।
सिटी बजाता करता सवारी, कभी बन जाता घोड़ागाड़ी।
बीते लम्हों की यादों में, माता-पिता रोते हैं।।
ऐसे बच्चे क्यों होते हैं,,??
धन-दौलत, खून-पसीने, माता-पिता सबकुछ है लुटाते।
इस दुनियाँ की सारी खुशियां, हैं तेरे कदमों में बिछाते।
दर-दर हैं भटकते माता-पिता, बच्चे चैन से सोते हैं।
ऐसे बच्चे क्यों होते हैं… ??
पूजनीय होते माता-पिता, फिर ये कैसी मजबूरी है??
अपना हरपल कहते हो, फिर दूरी क्यों जरूरी है?
बुढापे में अक्सर अकेले, माता पिता होते हैं।।
ऐसे बच्चे बच्चे क्यों होते हैं??