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कारवां को छोड़ गए… | ऑनलाइन बुलेटिन

©संतोष जांगड़े

परिचय-बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़.


 

भारतीय संविधान के शिल्पकार, विश्व रत्न, सिम्बल आफ नालेज, बोधिसत्व, महान अर्थशास्त्री, आजाद भारत के प्रथम कानून मंत्री बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के 14 अप्रैल जन्म जयंती पर सभी को अग्रिम बधाई एवं मंगलकामनाएं!

 

बाबा साहब को कोटि – कोटि नमन

 

कारवां को छोड़ गए…

 

बड़े जोर से खींच के लाये, अधूरा कारवां छोड़ गए।

वंचित-शोषित के जीवन के अंधकार को तोड़ गए।

 

मनुवाद की गुलामी से, आजादी को जीवन मोड़ गए।

शिक्षा से शूद्रों का नाता, संविधान लिख जोड़ गए।

 

महापुरुषों के संघर्षों का, सब ही सार निचोड़ गए।

सच्चाई के आग में तुमने, काले कानून भी जोर गए।

 

एक अकेला मनुवाद के, पाप के घड़ा फोड़ गए।

बिखर गए सब काले-कानून, संविधान को छोड़ गए।

 

दौड़ हुआ बुद्धिमानों का, सबसे आगे दौड़ गए।

मंजिल में हमको पहुंचाने, तुम बना कर रोड गए।

 

जाति-पाति के बंधन को, संविधान से तोड़ गए।

मिलजुलकर सब साथ रहे, इसका कर गठजोड़ गए।

 

झूठ-मूठ कहने वालों के, पकड़ गर्दन को मरोड़ गए।

एक चना ही मनुवाद के, भाड़ देखो फोड़ गए।

 

शिक्षा हर ताले की चाबी, हम सबको वह बोल गए।

मन को भरमाने वालों के, कच्चे-चिट्ठे खोल गए।

 

हो अमीर या कोई गरीब हो, एक बराबर मोल गए।

हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख -ईसाई, एक तराजू तौल गए।

 

शत्रु कौन है? कौन मित्र है? पहचानों तुम बोल गए।

गोलमेज से पृथक निर्वाचन, लाने से सब डोल गए।

 

विषमता और भेदभाव के, जितने लोग समर्थक हैं।

संविधान लागू होने से, सबके मन तो डोल गए।

 


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