जूही की महक कहानी का पढ़ें 22 वां भाग | ऑनलाइन बुलेटिन
©श्याम कुंवर भारती
परिचय- बोकारो, झारखंड
होली से दो दिन पहले जूही सुबह में ही सुधीर के घर पर गई। दरवाजे पर दो पुलिस के जवान सुरक्षा में तैनात थे। दरवाजे पर पुलिस उपाधीक्षक लिखा हुआ बोर्ड लगा था।
जवान जूही को जानते थे कि वो एसडीओ है और सुधीर के यहां आना जाना लगा रहता है। इसलिए सबने उसे अंदर जाने दिया।
जैसे ही सुधीर की बहन गुड़िया ने जूही को देखा वो दौड़ती हुई उसके पास आई अरे दीदी आज बड़े सबेरे आई हो क्या बात है उसने आश्चर्य से पूछा। जूही ने धीरे से पूछा सुधीर सो रहा है या जाग रहा है।
भैया तो देर रात ऑफिस से आए थे इसलिए अभी वो सो रहे हैं।
चलो अच्छा है। आओ मेरे साथ चुपचाप जूही ने धीरे से कहा। दोनों सुधीर के कमरे में गई जहां सुधीर बेसुध होकर सो रहा था। जूही ने अपने पर्स से रंग की दो डिबिया निकाली और उसके सिर पर छिड़क दी। गुड़िया ने धीरे से कहा ये क्या रही हो दीदी भईया उठेंगे तो मुझे ही डांटेंगे।
चुप चाप रहो तुमको कोई कुछ नहीं कहेगा। मैं अभी यहीं रहूंगी देखना कितना मजा आयेगा। आज ऑफिस में छुट्टी है। चलो रसोई में चाय बनाते हैं फिर सुधीर को उठाते हैं। जूही ने मुस्कुराते हुए कहा। ठीक है दीदी। फिर दोनों रसोई घर में चलीं गईं। सुधीर की मां पूजा पाठ की तैयारी कर रही थी। जूही ने जैसे ही उनको देखा उनका पैर छूकर प्रणाम किया। जूही को आशीर्वाद देते हुए पूछा क्या बात है बेटी आज बड़े सबेरे कोई खास बात है।
हां आंटी बड़ी खास बात है। आप पूजा पाठ कीजिए हमलोग तब तक चाय बनाते हैं, जूही ने मुस्कुराते हुए कहा। गुड़िया में हंसने लगी।
आज मुझे भईया से डांट सुनवाकर रहोगी दीदी। गुड़िया ने हंसते हुए कहा। कुछ नहीं होगा मैं हूं न जूही ने कहा।
चाय बनाकर दोनों फिर सुधीर के कमरे में गई वो अभी भी नींद में खर्राटे ले रहा था।
जूही ने चाय उसके सिरहाने टेबल पर रखकर बड़े प्यार से उसे जगाने लगी। उठ जा मेरे लाल देखो भोर हो गई। मगर सुधीर सोता रहा। उसने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए फिर कहा उठ जा बेटा नहीं तो पानी डाल दूंगी और जूही उसे हिलाने डुलाने लगी। तब भी सुधीर नहीं उठा तो उसने टेबल पर रखा जग का पानी उसके सिर पर डाल दिया सुधीर हड़बड़ा कर उठ बैठा और सिर पर गिरा रंग उसके गालों पर फैलकर गाल लाल करने लगा। जूही खिलखिलाकर हंसने लगी।
सामने जूही को देखकर सुधीर ने आश्चर्य करते हुए कहा अरे मैडम आप अभी इस समय कुछ हुआ क्या।
बहुत हुआ है मुझसे दूर दूर रहते हो और देखो कहां किससे रंग लगवा कर आए हो। जूही ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा।
रंग कैसा रंग मैंने तो किसी से रंग नहीं लगवाया सुधीर ने भोलेपन से कहा।
वाह बच्चू हमी से होशियारी इतना कहकर उसने सुधीर की एक बांह पकड़ कर बिछावन से नीचे उतारा और आइने के पास ले गई।
अपने सिर और चेहरे पर रंग देखकर सुधीर चौंक गया। उसने गुड़िया की तरफ देखा वो दूर खड़ी रही थी।
उसे क्यों देख रहे हो बाबू सच सच बताओ किससे रंग लगवाकर आए हो वरना मैं तुम्हारी जान ले लूंगी। अगर मेरे अलावा किसी और से रंग लगवाया तो। जूही ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा।
मैं सच कह रहा हूं मैडम पता नहीं कहां से रंग लग गया। जूही ने भोलेपन से अनजान बनते हुए कहा।
उसकी इस हालत पर जूही और गुड़िया ठहाका मार कर हंसने लगी।
गुड़िया ने सुधीर को देखकर जूही की तरफ इशारा किया।
सुधीर समझ गया यह सब जूही की ही करामात है।
आप भी मैडम मजाक करने की आदत गई नहीं आपकी। भेद खुल जाने से जूही हंसने लगी। बोली कैसे पुलिस ऑफिसर हो कोई भी आकर तुम्हें रंग लगा जाता है। तभी वहां सुधीर की मां भी आ जाती है। सुधीर की हालत देखकर वो भी हंसने लगी। यह सब तुम दोनों ने ही किया है न उसने जूही और गुड़िया को देखते हुए कहा। आंटी अपने बेटा से पूछिए एक पुलिस ऑफिसर क्या इसी तरह घोड़ा बेचकर सोता है और हंसने लगती है।
इतना कहकर जूही ने एक तौलिया से उसका चेहरा साफ कर दिया और चाय का प्याला उसकी तरफ बढ़ा दिया।
समझाओ न मां मैडम को आज होली की शांति समिति की बैठक है अगर रंग नहीं छूटा तो लोग क्या बोलेंगे। सुधीर ने अपनी मां से कहा।
क्या बोलेंगे। अरे भाई होली का महीना है लोग समझेंगे उनका साहब अपनी होने वाली बीबी या साली से होली खेले होंगे। जूही ने हंसते हुए कहा।
मां देखो न, सुधीर ने चाय पीते हुए कहा।
क्या मां मां कर रहे हो तुम। अब तुम बच्चे नहीं हो। यहां मैं भी हूं। तुम्हारी होने वाली बीबी। जो कहना है मुझसे बोलो। कब तक मां मां करते रहोगे।
सुधीर की मां ने हंसते हुए कहा तुम नहीं सुधरोगी जूही। मेरे बेटे को तंग मत किया करो।
जूही ने गुड़िया से पूछा बोलो गुड़िया मैं तुम्हारी भाभी बनने लायक हूं या नहीं।
बिल्कुल दीदी गुड़िया ने हंसते हुए कहा।
तो एक बार भाभी बोलकर दिखाओ।
गुड़िया ने कहा जूही भाभी।
वाह रे मेरी प्यारी ननद इतना कहकर जूही ने गुड़िया का माथा चूम लिया।
सुधीर चुपचाप कमरे से निकल गया।
दोनों फिर जोर जोर से हसने लगी। सुधीर की मां भी मुस्कुराने लगी।
शाम को सुधीर की मां ने एक ज्योतिष को बुलाया और उसने जो कुंडली जया की मां से जया की मंगाई थी और सुधीर की कुंडली देते हुए कहा पंडित जरा दोनों कुंडलियों को देखकर बताइए दोनों की जोड़ी कैसी रहेगी।
कुंडलियां देखकर पंडित ने कहा माता जी इतना सुंदर संयोग तो बहुत मुश्किल से मिलता है। लड़की बहुत लक्षण दार और शुभ है। इससे विवाह होने से आपके बेटे के जीवन में नाम, यस, धन सुख और शांति सभी का संयोग बन रहा है। इस लड़की के आते ही आपके घर में लक्ष्मी का वास होगा। इसके पैर बड़े शुभ है। इसका जितना मान सम्मान होगा उतना ही आपके घर में उन्नति और सुख शांति बनी रहेगी। पंडित की बात सुनकर सुधीर की मां बहुत खुश हुई।
उसने कहा पंडित आप ठीक कह रहे हैं। जूही के संगत का असर तो विवाह से पहले ही दिख रहा है। जबसे मेरा बेटा इस लड़की के संपर्क में आया है सब कुछ अच्छा ही होता जा रहा है। सबसे बड़ी बात है लड़की मेरे बेटे को बहुत मानती है। मगर मेरा बेटा जिद ठानकर बैठा है की जब तक उसका प्रमोसन नहीं होगा वो विवाह नहीं करेगा।
जितना जल्दी हो सके माता जी इन दोनों का गठबंधन करा दे फिर देखना सब शुभ ही शुभ होगा और आपके बेटे से जूही का भी मंगल होगा। पंडित ने कहा।
ठीक है पंडित मैं देखती हूं। फिर उसने पंडित को दान दक्षिणा देकर विदा कर दिया।
सुधीर की मां ने जूही की मां को पंडित की सारी बात फोन पर सुनाते हुए कहा अब बोलिए बहन जी मैं क्या करूं।
करना क्या है बहन जी मैं तो बेटी वाली हूं मैं तो चाहूंगी जितनी हो सके बेटी का विवाह कर विदा कर दूं। मगर आप लड़के वाली है आप सुधीर को समझाए। मेरी बेटी जूही सुधीर के सिवा किसी से विवाह नहीं करेगी। वो तो कबसे तैयार बैठी है सुधीर से विवाह करने के लिए।
शेष अगले भाग 23 में
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