संत गुरु घासीदास बाबा जी का सामाजिक योगदान | ऑनलाइन बुलेटिन
©जलेश्वरी गेंदले, शिक्षिका
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार
रायपुर जिला में है गिरौदपुरी धाम
जहां आज बना है
कुतुबमीनार से भी ऊंचा जैतखाम
जो सब का है शान।
फैली हुई थी जाति, धर्म, आडंबर ,
अंधविश्वास का प्रचार।
माता अमरौतीन, पिता महंगूदास के घर
जन्म लिए एक बालक होनहार।
चारो दिशा में खुशियों के साथ
फैलने लगी सत्य रूपी प्रकाश
जैसे- जैसे बढ़ने लगे बालक
होने को आया पिता के सपना साकार,
सिरपुर के बालिका सफुरा से रचाया
गुरु घासीदास जी का विवाह।
सामाजिक कर्तव्यों का जब ज्ञान हुआ,
घर परिवार से विमोह हुए गुरु घासीदास ,
निकल गए जन-जन को रावटी लगा समझाने
सोये स्वाभिमान जगाने।
मालिक मकबूजा कानून पास कराने
जमीन पर काबिज हो मालिक का अधिकार दिलाने।
ज्ञान और सत्य की बात सुन अपने बहुजन भाई,
सुविचार मानकर प्रण लेते बन सतनामी को आए,
प्रकृति ही पूजा
श्वेत जोड़ा जैतखाम दिए निशानी
सफेद वस्त्र धारण कर
मानो छोटी-छोटी नदिया
जैसे समुद्र में है मिल जानी
(नवा जागरण, नवा बिहान अऊ सबो बनव सियान) का नारा दिए।
(मंदिरवा म का करे जईबो अपन घट के ही देवा ल मनईबो)
उसी प्रकार इंसानियत आचरण हो,
मिट जाए सब अमानवीय व्यवस्था और
जात -पात भेदभाव को तोड़
इंसान बस इंसान बन जाए,
जीवन का हो सार ये जिंदगानी।
बौद्धिक, वैज्ञानिक विचार के गुरु बाबा थे ज्ञानी,
सतनाम एक मात्र विचार
जिस पर टिकी धरती, वायु, जल, अग्नि, आकाश
छत्तीसगढ़ में जन्म लिए ,
सतनाम के महत्व हैं बताएं
सोए हुए स्वाभिमान जगाएं
आत्म -सम्मान से जीना क्या होता है ,
यह बात सिखाएं
नशा, झूठ, जीव हत्या, परनारी पर
गलत दृष्टि न डाले कोई
यह मानवता समझाएं।
छोटे बड़े ऊंच-नीच के भेदभाव ना करो।
समाज को है समझानी।
मानव -मानव एक समान
यह बात सिद्ध कर दिखाएं
सब समाज के लोग जब
सतनाम का आवाज लगाएं
बहुत संघर्ष किए गुरु बाबा घासीदास।
सत्य, न्याय, प्रभुत्व, समता की राह पर चले समाज।
चले हैं आज भूल अपने पुरखों की त्याग, तपस्या और बलिदान,चले है
चमत्कारी, कर्मकांड, पाखंडवाद
को बढ़ावा देने आज अपना समाज,
छत्तीसगढ़ के संत शिरोमणि
गुरु घासीदास बाबा है महान
जिनके चरण में नतमस्तक करती हूं मैं आज
मिला मुझे यह जीवन
स्वतंत्रता से जी रही हूं मैं नारी,
महापुरुषों पर है मुझे नाज।
हमें गर्व है
कि छत्तीसगढ़ के धरती में हुए
संत महान,
मानव -मानव है एक समान
मालिक मकबूजा कानून
मिले यह राह को
सामाजिक तथा आर्थिक
मुक्ति का आंदोलन चलाया,
जहान को दे गया यह विचार।
जिसमें छिपी है जीवन का सार
आप सभी को मेरा सादर जय सतनाम।
जय सतनाम, जय सतनाम, जय सतनाम।
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