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जबलपुर में कूलर चलाने पर प्रशासन ने लगाई रोक, इंदौर में भी बढ़ा डेंगू का प्रकोप | Newsforum

इंदौर / जबलपुर | मध्यप्रदेश में डेंगू महामारी का रूप लेती जा रही है। डेंगू पर काबू पाने तमाम प्रयास विफल होने के बाद प्रशासन ने कड़ाई करना शुरू कर दिया है। हालात यह हो गए हैं कि लोगों को छोटी-छोटी बातें आदेश जारी कर सिखानी पड़ रही है। इसी क्रम में प्रशासन ने पानी का एक जगह पर भराव रोकने के लिए कूलर चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे डेंगू लार्वा पर रोक लग सके। आदेश में कहा गया है कि यदि फील्ड टीमों ने किसी के घर में कूलर चलता हुआ पाया तो फिर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

 

मध्य प्रदेश में डेंगू का कहर इन दिनों बढ़ गया है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे अहम शहरों में केसों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है। इस बीच जबलपुर में प्रशासन ने एक महीने के लिए कूलरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जबलपुर नगर निगम की ओर से आम लोगों को यह आदेश जारी किया गया है कि वे अगले एक महीने तक कूलर के इस्तेमाल से बचें। शहर में सितंबर में ही अब तक 177 केस डेंगू के आ चुके हैं। जिला मलेरिया ऑफिसर डॉ. राकेश प्रहरिया ने कहा कि अब तक डेंगू से कोई मौत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन तेजी से केसों में इजाफा चिंता की वजह है।

 

इस बीच सोमवार को जबलपुर नगर निगम के आयुक्त संदीप जीआर ने आदेश दिया है कि अगले एक महीने तक शहर में कूलर्स का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फील्ड सर्वे करने वाली टीमों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाले कूलर में लार्वा पाया गया है। आदेश में कहा गया है कि यदि फील्ड टीमों ने किसी के घर में कूलर चलता हुआ पाया तो फिर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। नगर निगम और हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से साझा अभियान चलाया जा रहा है और घरों में विजिट कर फॉगिंग की जा रही है ताकि मच्छर न पनप सकें।

 

इंदौर में भी तेजी से बढ़ रहा है डेंगू का प्रकोप

 

इस बीच कोरोना का कहर झेलने वाले इंदौर शहर में अब डेंगू का भी प्रकोप बढ़ता दिख रहा है। शहर में रविवार को डेंगू के 17 मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही डेंगू के कुल केस तेजी से बढ़ते हुए 139 हो गए हैं। जबलपुर में 177 केस हैं और अब इंदौर में आंकड़ा तेजी से बढ़ने से सरकार की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। हालांकि इस बीच राहत की बात यह है कि प्रदेश में कोरोना के केसों में कमी का दौर है। इसलिए स्वास्थ्य ढांचे पर ज्यादा दबाव नहीं है और ऐसे में डेंगू की समस्या पर पूरा फोकस करने का प्रयास किया जा रहा है।


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