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चुनावी बॉन्ड को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा

नई दिल्ली
चुनावी बॉन्ड को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। वायनाड सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाए हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने बॉन्ड को 'रिश्वत और कमीशन' लेने का जरिया बनाया था। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है। साथ ही इसे असंवैधानिक करार दिया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लिखा, 'नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने इलेक्टोरल बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।'

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने लिखा, 'उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान का भी उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा।' उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार 'चंदादाताओं' को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है।
 
विपक्ष ने भी उठाए सवाल
शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे ने कहा, 'एक असंवैधानिक योजना को माननीय शीर्ष न्यायालय ने खत्म कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र को उम्मीद है कि असंवैधानिक शासन भी खतम किया जाएगा। चुनावी बॉन्ड योजना खत्म करने के आज के फैसले का स्वागत करता हूं। अब हमें उम्मीद है कि पारदर्शिता आएगी।' वाम नेता सीताराम येचुरी ने भी फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इस मामले में कोर्ट पहुंचे वकील शादान फरासत का भी धन्यवाद किया है।

चुनाव आयोग को भी घेरा
रमेश ने कहा, 'हमें यह भी उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से लगातार इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?' राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।

क्या है चुनावी बॉन्ड योजना
चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।


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