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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ RSS ने भी कमर कस ली, बनाया ख़ास प्लान

लखनऊ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी (BJP) की समन्वय समिति की बैठक में अलग- अलग विषयों को सुनने के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया को घेरने की रणनीति पर चर्चा हुई। साथ ही दलित और पिछड़े वर्ग के बीच में पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी मिलकर कैसे काम करेगी इस पर भी चर्चा हुई। बैठक में किसानों की समस्याओं और गोवंश के मुद्दे पर भी बात हुई।

2019 लोकसभा चुनाव में हारी हुई में सीट पर बीजेपी पर फोकस

उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें आती हैं। बीजेपी ने 2024 में सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं तमाम विपक्षी दल सपा, बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) भी अपनी ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि, इस बार कांग्रेस और सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। पिछले चुनाव में जिस लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार मिली थी, उस सीट को जीतने के लिए बीजेपी अलग तरह की रणनीति तैयार कर रही है।

10 सीटों पर बसपा को मिली थी जीत

2019 लोकसभा में भाजपा ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 62 सीटों पर पार्टी कमल खिलाने में कामयाब हो गई। वहीं बीजेपी की सहयोगी अपना दल एस को दो सीटों पर जीत हासिल हुई। सपा बसपा गठबंधन कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाया। बसपा के खाते में जहां 10 सीटें आई तो वहीं सपा को सिर्फ 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को तो प्रदेश में तगड़ा झटका लगा। बीजेपी ने राहुल गांधी की पारंपरिक सीट अमेठी को भी छीन लिया और कांग्रेस महज एक रायबरेली सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी, जहां से सोनिया गांधी ने चुनाव जीता।

लक्ष्य तक पहुंचने के लिए क्या कर रही बीजेपी

पीएम मोदी की ओर से दिए गए लक्ष्य को पाने के लिए बीजेपी अब तैयारी में भी जुट गई है. बीजेपी ने सभी प्रदेश इकाइयों में जिम्मेदारी तय करने के साथ ही यह भी संदेश दे दिया है कि सभी मंडल प्रभारी 30 दिन में कम से कम एक बार हर एक पन्ना प्रमुख से मिलें. पीएम मोदी ने हर एक मतदाता तक पहुंचने का जो टास्क सौंपा है, उसके लिए भी पार्टी ने रणनीति तैयार कर ली है. हर नेता और कार्यकर्ता से हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने को कहा गया है. अब आंकड़ों की बात करें तो देशभर में कुल मिलाकर 10 लाख 35 हजार और एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन 1900 बूथ हैं. अब इस हिसाब से देखें तो बीजेपी का लक्ष्य एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन सात लाख और कुल मिलाकर करीब 38 लाख मतदाताओं को जोड़ने का है.

पीएम ने सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से मिलकर उन्हें नमो ऐप के जरिए मोदी की चिट्ठी देने, पिछले पांच साल की उपलब्धियां बताने का भी आह्वान किया है. इसके जरिए पीएम मोदी और बीजेपी की रणनीति मतदाताओं से इमोशनल कनेक्ट स्थापित करने की है. पीएम मोदी का कार्यकर्ताओं को संदेश देना कि हर लाभार्थी तक पहुंचकर यह कहना कि प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी ने उनको प्रणाम कहा है, इसी रणनीति की तरफ संकेत करता है. पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को यह नसीहत भी दी है कि मतदाताओं से संपर्क के समय पंथ और परंपरा को दरकिनार कर मिलें. अगर कोई मतदाता किसी कारण से अब तक बीजेपी से नहीं जुड़ पाया है तो उसे जोड़ने के लिए भी काम करना होगा. पार्टी का फोकस फर्स्ट टाइम वोटर्स पर भी है. यही वजह है कि पीएम ने यह हिदायत भी दी है कि एक भी फर्स्ट टाइम वोटर ऐसा न हो जिस तक आप ना पहुंचें.

मेरा बूथ,सबसे मजबूत के मायने क्या?

बीजेपी का जोर हर चुनाव में बूथ लेवल मैनेजमेंट पर होता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही बीजेपी के चुनाव अभियान की धुरी रहने वाला है. यही वजह है कि जब मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम का ऐलान भी नहीं हुआ था, तभी बीजेपी ने भोपाल में बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन कराकर 2024 के लिए अपने अभियान का आगाज कर दिया था. पार्टी की रणनीति है कि बूथ लेवल कमेटी का हर सदस्य 10-10 परिवारों के संपर्क में रहे, उनसे करीबी बढ़ाए और मतदान वाले दिन पार्टी के पक्ष में उनके वोट डलवाए.

13 सदस्यों की टीम करेगी बूथ को मजबूत

बीजेपी ने बूथ लेवल पर पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा बूथ लेवल कमेटियों को सौंपा है. बूथ लेवल कमेटी में बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बूथ एजेंट के साथ ही 10 सदस्य भी हैं. बीजेपी का सांगठनिक ढांचा मंडल स्तर पर पहले से ही मजबूत था, पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने सबसे छोटी इकाई बूथ लेवल पर फोकस कर दिया है. बूथ कमेटी के भी नीचे एक कमेटी काम करती है जिसे पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी का नाम दिया गया है. यह कमेटी बूथ कमेटी को मजबूत करने के लिए काम करती है. पन्ना कमेटी का संबंध वोटर लिस्ट के पन्नों से है. वोटर लिस्ट के हर एक पन्ने पर लगभग 30 परिवारों का विवरण दर्ज रहता है. बीजेपी की रणनीति बूथ कमेटी के साथ ही पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी के जरिए हर एक मतदाता से सीधा संपर्क स्थापित करने की रहती है.


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